Saturday, July 14, 2012

संप्रभुता -2

संप्रभुता -2

राजा को तमिल में  "कोन " कहते  हैं।"कोन ' तमिल शब्द  का अर्थ  है गडरिया।एक देश की प्रजाएँ  "बकरियाँ"  हैं  तो   राजा " गडरिया " है। "संप्रभुता" जिसका  तमिल शब्द  है  चेंकोंमै .यह संप्रभुता  चुस्त  राजा ही  कर   सकता  है।  यह  अधिकार "अपराध  न करना  अधिकार  के बाद  ही आता है।यह ध्यान  देने की बात  है।
अपराध और गुण दोनों को तोलकर शोध  करने  से यह " दंड " बन गया।

   "अत्याचार "  में  जैसे  तीन प्रणालियों के बारे में वल्लुवर  महोदय  ने चर्चा  की  है,वैसे  ही "संप्रभुता " को पुष्टि   करने तीन प्रणालियों का जिक्र  किया है।

 एक  अपराधी  के अपराधों को पूछ-ताछ  करके किसी प्रकाक की दया दिखाए बिना ,अपराध के अनुसार दंड  देना  ही   "इन्साफ " हॉट है।

वल्लुवर ने अपने  कुरल  में पाँच  बातें   इन्साफ  देने  के सम्बन्ध  में   बतायी  हैं। खोज करना,अवलोकन करना ,प्रशासनिक कार्य  करना,अपराधी  जो  भी  हो,दंड चुनना  आदि के बाद  ही न्याय दे सकता  है।ऐसी बातें
 उनके कुरल में खान के धातु -सम  मिलती रहेगी।

अपने  प्रथम  कुरल  में  वल्लुवर ने संप्रभुता के लक्षण खूब बताये  हैं।एस।रत्नकुमार  ने  एक ही शब्द  में   इस वल्लुवर के कुरल के बारे में  बताया  है  ---"सम्प्रभूता  को  वल्लुवर ने "जस्टिस"कहकर  संसार को बताया है।


THERE WILL BE JUSTICE IF THE RULER IMPLEMENTS A COURAGE OF ACTION ONLY AFTER HE HAS EVALUATED  THE SITUATION   IN HAND.

REV.FATHER.G.U.POP--TO EXAMINE IN TO (THE CRIMES WHICH MAY BE COMMITED)
TO SHOW NO FAVOUR (TO ANY ONE)TO DESIRE TO ACT  WITH IMPARTIALITY TOWARDS ALL AND TO INFLICT (SUCH PUNISHMENT)AS MAY BE WISELY RESOLVED ON ,CONSTITUTE.
ब्राह्मणों  द्वारा रचित नीति-ग्रन्थ  और धार्मिक ग्रन्थ , जो लोगों के सुमार्ग  पर चलने  का आधार हैं,

वह राजा के सम्प्रभूता  के कारण ही  सुरक्षित  रहेगा।तोल्काप्पियर  ने  कहा --एक ग्रंथकार  की प्रशंसा
 करना,कर रहित खेत  देना,
पुरस्कार देना,एक ग्रन्थ को प्रकाशित करना  आदि   काम  राजा के ही हैं।  तोल्काप्पियम  के अनुसार

पुराने  जमाने  में  सभी आदि ग्रन्थ मुनियों के  द्वारा  ही लिखे गए हैं।
इन सब को वल्लुवर ने क ही कुरल में बताया है।

राजा  का दंड  ही विप्रों के ग्रन्थ ,धर्म आदि के आदी है  राजा का सम्प्रभुत्व।

राजा का शासन सुशासन न  होने पर  धर्म -ग्रंथों  की स्तुति करनेवाले,धर्म पथ का पालन करने वाले कम हो जायेंगे।
वल्लुवर एक धार्निक सज्जन हैं।धर्म ग्रंथों  में जो धर्म की बातें हैं,वे सब तिरुक्कुरल के 'धर्म "भाग में मिलते हैं।

THE  RULER'S GOOD SENSE OF JUSTICE AND FAIRNESS AND INSTRUMENTAL FOR THE PROGRESS OF MORAL LAWS AND "ARAM"  (DOING THINGS ,WITH HONOUR FOR THE LESS FORTUNATE.

G.U.POPE--THE SCEPTER OF THE KING IS THE FIRM SUPPORT OF TH E VEDAS  OF THE
BRAHMIN AND OF ALL VIRTUES THERE IN DESCRIBED.

No comments:

Post a Comment