Sunday, July 1, 2012

3.महान।साधु/ उत्कृष्ट आदमी।

वल्लुवर अपने शेष अध्याय दरिद्रता,भीख,भीख मांगने  का भय,नीचता (अत्याचार),आदि चार अध्यायायों  में,
  भीख मांगने के भय  शीर्षक   छोड़कर, बाकी अध्यायों  में ,

  नीच गुण के असर को   जान  -समझकर, उन्हें छोड़ देने का आदेश  देते हैं।

इनमें भी अर्थ अध्याय के "नीचता"(अत्याचार )  शीर्षक  दस  कुरल,   नीचता  को  मनुष्य-कुल से मिटाने के

लिए   लिखा गया है।एक ही अध्याय  में  बड़प्पन और नीचता का जिक्र  करने से, ऐसा लगता है,जैसे   अमृत और विष दोनों एक ही जगह पर दृष्टिगोचर होते हैं।

उपर्युक्त चार अध्यायों  में भीख माँगने  के भय  अध्याय छिप  गया है।उस अध्याय के कुरलों  को पढने  से  यह स्पष्टता  मनुष्य कुल में  आ सकता है--कि -भीख  माँगने    को  छोड़ने  का  गुण    सब को आने पर सब के सब महान हो सकते हैं।

दूसरों से माँगने  पर    मनुष्य  का  मान-मर्यादा नष्ट  हो जाता है।

कुरल  देखिये :--

उदार चित से सहर्ष  दान देने वाले ,हर किसी की  मांग  पर   देकर  आत्मा-संतोष  पाते  है।.

ऐसे  दानी  व्यक्ति  से भी कुछ  न माँगकर , गरीबी में  ही  जीना   करोड़ों  गुना श्रेयष्कर है।


कुरल: 


करवातु   वन्दीयुंग  कन्नन्नार   कन्नुम   इरावमै   कोडियुरुम .




इस कुरल पर माँगनेवाला  विचार करें तो    महान  बनने  की संभावना है।

आगे वल्लुवर के बड़प्पन सम्बन्धी आठ  और लोभ सम्बन्धी एक अधिकार पर विचार करेंगे।उसके पहले  तिरुक्कुरल के अलावा शेष ग्रन्थ क्या कहते है,इस पर भी ध्यान देना उचित ही होगा।

तमिल का नालडियार ग्रन्थ -तिरुक्कुरल के सामान  ही  माना  जाता है;

वल्लुवर के बड़प्पन नामक कुरल के दस अध्याय के सामान ही " बड़प्पन",  याचकता  का  भय आदि   विषय

पर नालडियार में दो अध्याय मिलते हैं।


यह "बड़प्पन"सत्संघ "अध्याय के अगले अध्याय में है।
दुश्मनी में भी बड़प्पन मिल सकता है।दोस्त  के कारण भी   हमारा नाम बदनाम हो सकताहै।

कमीनों की दोस्ती के कारण दुःख ही शेष रहेगा।
लेकिन  सूक्ष्म बुद्धिमानों की दुश्मनी गौरव दिला सकती  है।
कवि  की बुद्धि-चातुर्य इससे प्रकट होता है।

नालडियार   :--

इसैंत  सिरुमैयियल  पिलातार कण
पसंत तुनैयुम परिवाम -असैंत
नकै  येयुम वेंडात  नाल्लारिवानार  कण
पकैयेयुम  पाडू  पेरुम।
 
कुरल और नालाडियार दोनों ग्रंथ  यही कहते है --समाज  में जीने केलिए ज्ञान और सद  -दिल  मात्र पर्याप्त नहीं है,और भी कुछ कौशलों की
अत्यंत आवश्यकता है।

यह ध्यान देने की बात है।

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