Sunday, July 8, 2012

15.साधुता





लज्जाशीलता के गुण को वल्लुवर ने बड़ी सूक्ष्मता से उल्लेख किया है।

.अणु को तोड़कर सात समुद्र के पानी को भर दिया है वललुवर ने अपने कुरल में।

.अर्थात कुरल में अत्यधिक बातें हैं।
.सभी  जीवों  के  प्राण  का केंद्र स्थान शरीर है।
.लेकिन योग्यता  ने   लज्जा नामक अच्छे गुण को अपने निवास स्थान बनाया है।
योग्यता को जैसे हम आँखों से देख नहीं सकते, वैसे ही लज्जा शीलता को।
योग्यता के लिए अदृष्ट लज्जाशीलता ही केंद्र स्थान है।
महानता के सारे कुरल को पढने से ही लज्जशील्ता की व्याख्या पा सकते हैं।.

अनुवाद करनेवाले लज्जा शीलता का अनुवाद यों ही किया है. --CONSCIENCE OR SHAME.

A CONSICIENCE IS ESSENTIAL FOR DURING NOBLE DEEDS JUST AS BREATHING IS ESSENTIAL FOR THE FUNCTIONING OF THE BODY.
बद कर्म करने से शर्म मह्सूस करनेवाले अपने को शर्म-शीलता से बचाने के लिए जान तक तज देंगे।.वे अपने प्राण की रक्षा केलिए लज्जाजनक काम नहीं करेंगे।.
कुरल:-  नानालुयिरै   तुराप्परुयिर्प  पोरुट टाल    नान्डूरवार  नानाल पवर।








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