Thursday, July 12, 2012

13 .न्यायाधिपति

न्यायाधिपति  वल्लुवर  ने  इस बात पर जोर दिया है  कि  एक गीत  गाने संगीत का महत्व्  अत्यावश्यक है।

वैसे ही न्यायाधीश को क़ानून -ज्ञान के साथ अवलोकन (सहानुभूति) अत्यावश्यक है। इस कुरल में संगीत कला के बारे में वलुवर ने जो कहा है ,ध्यान देने योग्य है।

कुरल:  पण एन्नाम पाडर्किऐ  पिनरेल   कन्नेन्नाम   कन्नोटटम   इल्लात  कण।


there is no difference between singing out of tune and looking of the sufferings without empathy-both are useless.
यह विचार न्यायाधीशों  के मन में घर करना आवश्यक है।इसे  जी।यू।पापे ने  खूब समझकर  ही निम्न  प्रश्न
कियाहै।

OF WHAT AVAIL IS A SONG IF IT BE INCONSISTENT WITH HARMONEY?WHAT IS THE USE OF EYES WHICH POSSESS NO KINDLINESS?

वल्लुवर  ने दुसरे एक कुरल में हमें चेतावनी  दिया है  कि  हम तो दयालु  है ,यों सोचकर बिना सोचे-समझे  दया दिखाना नहीं चाहिए।

करुमम  सिदैयामल  कन्नोड़  वल्लार्क्कू   उरिमै  उडैत्तिव्वुलकू।(kural)


मनुष्य  को अपने कर्म पर अति श्रद्धा रखनी चाहिए।अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कोई कमी नहीं होनी
चाहिए।यही पदाधिकारी और कर्मचारी का प्रथम -कर्त्तव्य  होना चाहिए।

कर्तव्य  छोड़कर सहानुभूति दिखाने की बात  वे  नहीं कहते। कर्तव्य  चूके  बिना ही सहानुभूति दिखाने की बात कहते हैं। संसार में वन्दनीय वे ही बनते हैं,जो अपने कर्तव्य  पर  दृढ़  रहते  हैं।


G.U.POPE---THE WORLD RESPECTS THOSE WHO FULFILLING THEIR RESPONSIBILITIES EMPTAHIZE  WITH THE LESS FORTUNATE.

THE WORLD IS THEIRS WHO ARE ABLE TO SHOW KINDNESS WITHOUT INJURES TO THEIR AFFAIRS.(ADMINISTRATION OF JUSTICE)

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