Wednesday, July 18, 2012

Shasak 13

सूक्ष्म से सूक्ष्म  विषयों को भी देने वाले है तिरुवल्लुवर.  तिरुवल्लुवर के बारे मैं पेरुन्तोके   के लेखक ने कहा है कि धर्मं, अर्थ, काम आदि. तीन भाग को पढने के बाद और कोई   ग्रन्थ  पढने  की जरूरत नहीं हैं। वह तो ज्ञान -पुष्टि दे देता है।तमिल में जो लिखा गया है ,उसका अर्थ कोष्टक में दिया है।भाषानुवाद में मूल-भाषा जैसे रसास्वादन करना असंभव ही है।

(भाग  को तमिल में "पाल " कहते हैं।'पाल ' शब्द  का दूसरा  अर्थ  है दूध।तिरुक्कुरल के तीन भाग को तमिल में मुप्पाल  कहतेहैं;  यहाँ  कवि  कहते हैं कि  तिरुक्कुरल  के मुप्पाल  को पीने के बाद  माँ  के मुलैप्पाल (माँ के स्तन दूध)  पीने की जरूरत नहीं है।)माँ  का दूध निर्मल है।वही प्राण दाता है;कवि
के लिए उपमान के लिए स्तन दूध ही मिला है;क्या वे पागल हैं।ऐसी बात नहीं है।वे तिरुक्कुरल के अध्ययन  के बाद ,उस ग्रन्थ के गंभीर विषय  के बाद तुलना  या उपमान के लिए माँ का स्तन-दूध ही मिला है।


तिरुवल्लुवर ने   दुश्मन के लिए  एक  नए शब्द  दिया है।वह  शब्द  हैं  अप्रशंसक (निंदक).
 जो हमको  नहीं चाहते,वे हमको मानेंगे नहीं।अतः हमारे विरोधी  को वे  अति सुन्दरता से अप्रशंसक  कहते  हैं।
तिरुक्कुरल  के समय के अधिकांश  ग्रन्थ तिरुक्कुरल के आलोचनात्मक ग्रंथ ही रहे।वे मुक्तक भले ही हो या तिरुवल्लुवर माला हो।वे सब ग्रन्थ वल्लुवर की स्तुति ही कर रहे हैं।शहद  को मीठा  ही  कह सकते  हैं।

वल्लुवर ने  जो 'स्थान" शब्द का उल्लेख किया है ,उसे रत्नकुमार ने advantaged position  कहा है।
even the weak will defeat the powerful if they attach from an advantaged position.

g.u.pope;-
EVEN  THE POWERLESS WILL BECOME  POWERFUL AND CONQUER IF THEY SELECT A PROPER FIELD OF ACTION AND GUARD THEMSELVES,WHILE THEY MAKE WAR ON THEIR ENEMIES.

No comments:

Post a Comment