Friday, July 6, 2012

9.साधु /महान/ उत्कृष्ट आदमी

मनुष्य  जीवन में  मान -मर्यादा का महत्व  बेजोड़  होता है।. महान  व्यक्ति   का माप--दंड मर्यादा ही है।
.
 वलूवर  कहते हैं -- मनुष्य को सम्मान   मिलने पर भी ,धन--दौलत  के  मिलने पर भी  ,ऐसा काम नहीं  करनाचाहिए, जिससे कुल गौरव की  हानि  हो   और अपने गुण कलंकित हो।


इन्रियामैयाच  चिराप्पिन  वायिनुंग  कुंरा वरुब विडल।(तमिल कुरल )






मनक्कुडवर  नामक  आलोचक ने वल्लुवर  के कुरल  की व्याख्या की है।.उनका कहना है --सुख  की तुलना में मान -मर्यादा ही श्रेष्ठ  है।

DO NOT COMMIT UNDIGNIFIED ACTS EVEV IF YOU ONE IN DIRE NEED.--G.U.POPE.

वल्लुवर  मान -मर्यादा  को समझाते हुए कहते हैं----जो अपने नाम -प्रसिद्धि के साथ -साथ  मान--मर्यादा भी स्थापित करना चाहते हैं, वे अपने कुल को कलंकित--अपमानित करनेवाले काम नहीं करेंगे।

सीरिनुंच  चीरल्ल  सेय्यारे सीरोडू   पेरान्मै  वेंदुबवर।

किसी भी हालत  में  मर्यादा की रक्षा चाहने वाले का मन शिथिल नहीं होता।
.वे अपने मर्यादा की रक्षा में दृढ़ रहते हैं।.

वल्लुवर  दूसरों की पत्नी पर मोहित न होने को बड़ा पौरुष मानते हैं।.अधिकांश  लोग जो काम नहीं कर सकते,वे ही पौरुष से पूर्ण   आदमी है।.

अधिकांश लोगों से जैसा व्यवहार करना दुश्वार   है,वैसा व्यवहार करके दिखानेवाले  ही बड़े पौरुष के आदमी होते हैं।.

g.u.pope----THOSE  WHO  DESIRE (TO MAINTAIN THEIR) HONOUR ,WILL SURELY DO NOTHING  DISHONOURABLE ,EVEN  FOR  THE  SAKE  OF  FAME.

आगे  वल्लुवर  धन दौलत  के  बारे में कहते हैं।.आम लोगों की धारणा  है ---धन के मिलने पर,,धन के चले जाने पर  दोनों स्थितियों में नम्र व्यवहार करना चाहिए।.लेकिन वल्लुवर  की धारणा   बिलकुल भिन्न है।.उनका मार्गदर्शन जीने के लिए होता है।.

वल्लुवर कहते है  ---जब धन जुड़ता है,  तब  हमारा   व्यवहार नम्र होना चाहिए;  जब दीनावस्था पर   पहुँचते  हैं, तब  हमारा सर ऊँचा  होना  चाहिए।.हमारी  कमी को दिखाने का काल गरीबी है।.लेकिन  उस गरीबी में अपनी स्थिति को ऊंचा रखना  आवश्यक है।.

सब से नम्र  व्यवहार् करना अच्छा है;;जो नम्र व्यवहार करते है ,उनका मन धनाढ्यों  से श्रेष्ठ  है।.

कुरल:-

पेरुक्कत्तु  वेंडूम   पनितल  सिरीय   सुरुक्कत्तु  वेंडूम  उयर्वु।









  

No comments:

Post a Comment