Saturday, July 7, 2012

11.साधु /महान/ उत्कृष्ट आदमी




बड़े लोगों को और बल प्रदान करने का अध्याय है  बड़प्पन  या महानता।.इसकी  व्याख्या  यों  दे सकते हैं-----
अपूर्व काम करना;अहम् रहित रहना; दूसरों पर आरोप  न लगाना आदि बड़ों  के  श्रेष्ठ गुण होते हैं।.
ज्ञान कौशल ,अच्छी  चाल--चलन ,अनुशासन आदि के कारण  जनता  या नागरिक,  पानेवाला यश या उच्चता ही   साधुता  //बड़प्पन //महानता  है।.

इस अध्याय का ठीक आधा  भाग   बड़प्पन  शब्द से शुरू हुआ है।.वल्लुवर बेकार लोगों के  बड़प्पन या आत्म--स्तुति के   बड़प्पन  के  बारे में नहीं कहते;वे स्वस्थ   बड़प्पन  अर्थात बड़े नाम के  बारे में कहते हैं।.वे जो कहते हैं ,वे सब के लिए   अनुकरणीय  है।.
  आज संसार में  नए जोश के साथ सब को प्रोत्साहित करने वाला  बोलबाला  एक  कुरल  बड़प्पन  अधिकार  में है।.

सभी लोग जनम  से एक  ही  होते हैं।.हर एक  का वर्गीकरण  उसके कर्म या पेशे के आधार  पर होता  है। कर्म  या पेशे  के कारण ही  एक बड़ा  या छोटा  बनता है।.

पिराप्पोक्कुम  एल्ला  उयिर्क्कुम  सिराप्पोव्वा    सेय्तोलिल  वेटरुमैयान .(कुरल)

बड़े लोग  अपूर्व  कम  करेंगे;उनके   कर्म में एक चमत्कार  रहेगा।.छोटे लोग ऐसे काम करने में असमर्थ  होते हैं।.

सेयर्करिय  सेय्वार   पेरियर  , सिरियर   सेयर्करिय  सेय्कलातार।(KURAL}

सामाजिक  क्रांतिकारी   और ,विचारों  की  क्रांतिकारी    एक  सज्जन  ने    कहा था , अनुशासन सार्वजनिक  संपत्ति है ;
भक्ति   व्यक्तिगत  सम्पत्ति  है.
वे    जिंदगी  भर   अपने समाज सुधार--कार्य में लगे रहे, वे बड़े  बने।.   वे  है   ई..वे. रामासामी .  वे  अपने  अपूर्व  सिद्धांतों के  कारण  बड़े बन गए।.उनके  नाम  के साथ  बड़ा (पेरियार)  शब्द  जुड़  गया।.

तिरुवल्लुवर  बड़प्पन  की महत्ता  को  दूसरे  एक  कुरल में   जो अमृत  के  सामान है,बताया है।.

पतिव्रता  नारी के समान  पत्निव्रता  पति भी  होना चाहिए।.

वल्लुवर  पतिव्रता  नारी केलिए  कुल--वधु  शब्द  का  प्रयोग  करते  हैं।
.एक  की  महिला  शब्द  और आम महिला  शब्द  से  कितना बड़ा शब्द  हैं।.ऐसा प्रयोग  वल्लुवर  ही  कर सकते  हैं।.

पतिव्रता धर्म के समान  पति को पत्नी व्रता   बनकर   जीने में   ही   बड़प्पन हैं।.

कुरल:  ओरुमै  मकलिरे पोलप  पेरुमैयुं   तन्नैत्तान   कोंडॉ लुकिनुंडू .

self -esteem, like chastity, stems  from  self -respect.---एक ज्ञानी।.

  उत्कृष्टता  या बड़प्पन की शोभा बढ़ानेवाला   दूसरा   अध्याय  है---गुण  ;शीलता।
।.महानता ,बड़े पद ,ऊंचे  आदमी होकर ,  ऊँचे   गुणों   से  न  हटकर  , दूसरों का स्वभाव  जानकर  उसके अनुसार चलना ही   गुण-- शीलता   है।

नेय्थर कलि  नामक  ग्रन्थ  में  नम्रता  के बारे में लेखक  ने कहा  है --मनुष्य को अपनी -सीख  के अनुसार चलना ही गुण-शीलता है।

हर एक व्यक्ति  को   सहज  सम्मान   भाव   और  दृष्टी  से  देखना गुणशीलता   है।.
  .देखने में सरल  दीखना  ही गुणी का  महत्त्व  है।   इसे केवल  वल्लुवर ने   मात्र   नहीं  कहा  है; धार्मिक  ग्रंथो  में  वल्लुवर  के  पहले    ईश्वर  के बारे में भी बताया गया  है।

एन्पतत्ता  लेय्तलि तेनब  यार  माटटुम   पानपुडमै  येंनुम वलक्कू।(kural)tamil)


IF  ONE  IS  EASY  OF  ACCESS  TO ALL,IT  WILL BE EASY  FOR  ONE TO  OBTAIN  THE
VIRTUE  CALLED  GOODNESS.--G.U.POP


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