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Monday, April 29, 2019

संस्मरण (मु.गद्य )

 परिषद को प्रणाम ।
लेखकों को बधाइयाँ ।
  संस्मरण ।

शादी होकर तीन महीने हो गये।
पहली बार चेन्नै पत्नी के साथ।
बडा होटल जोरू के साथ।
पति की गम्भीरता ।
बडे पेपर रोस्ट मांगा।
पहली बार बडा दो सै देखकर 
बीबी चकित रह गई ।
उसमें भूना हूआ काक्रोच ।(तिलचिट्टा )
पत्नी ग्रामीण की बडी चीख ।
पड़ोस के ग्राहक डरकर उठे।

 क्या करें।

जोश प्यार प्रेम भरा स्पर्श

सूर्य के आगे बरफ की तरह नदारद।
प्रेम भरी आंखों मेँ आँसू ।

बस
1975 से आज तक 43 साल

होटल जाने की इच्छा

कभी नहीं उठी।
यह घटना 
होटल माने
लापरवाही की मुद्रा लगा चुकी।
स्वरचित स्वचिंतक यस ।अनंत कृष्णन।
7

बोलचाल तमिल -हिंदी

---    विधि 

तू ,तुम ,आप ---नी ,नीर ,नींगल 

तमिल --------बोलचाल अ        ----लिखित आ 

तू --मूल धातु -तुम -मूल धातु 
आप --  मूल धातु +इंगल 

१.नी  वा।  तू आ ,तुम आओ।  अ।  
आप---  नींगल    ---vaanga  वांग -(अ)      वारुंगल (आ).


   1 .नी  -उट्कार -तुम  बैठो।2 . नींग utkaarunga -उटकारूंग -
(अ ) नींगल  -----उटकारूंगल (आ )

३.1  तू बोल --नी पेसू।    2 . आप बोलिए --नींग  पेसुङ्ग (अ )    नींगल  पेसुंगल (आ )

४.तुम कहो --नी  सोल।     २. आप कहिये --नींग सोल्लुंग।(अ )   नींगल सोल्लुंगल (आ).

५.तुम  पूछो --नी  केल।*  आप पूछिए --नींग केलुंग।  (अ )   नींगल  केलुंगल।

तुम  सुनो ---नी  केल। *   आप सुनिए। =नींग kelunga .  नींगल  केलुंगल।

६।  तुम माँगो।   नी   केल।*   आप  माँगिये =नींग  kelunga . नींगल केलुंगल।

पूछ ,सुन ,माँग ---तीनों के लिए तमिल  में केल।

७. तुम  खरीदो -   नी  वांगु ;   आप खरीदिये --नींग vaangunga (.अ ) नींगल वांगुंगल। (आ )

८..तुम  दो --नी   कोडु।   आप दीजिये ;  neenga  kodunga ,  नींगल  कोडुंगल।

9 .  तुम   लाओ ---नई कोंडुवा ;  आप लाइए --नींग   कॉन्डुवांग। (अ )कोंडुवारुंगल (आ )

१०.तुम देखो।  नी  पार।   आप देखिये। -नींग पारूंग;    नींगल  पारुंगल। 

Thursday, April 11, 2019

रातें (மு )


शीर्षक :- रातें।

रातें  क़ाफिया
शीर्षक  दिया  है
 परिषद  ने।
क़ाफिया क्या?
जानने की जिज्ञासा ।
रातें  तेरी मेरी
सृष्टि  की बातों  की रातें ।
 शहद चाँद  की रातें
रातें  मुलाकात  की बातें ।
अमावास्या  की रातें,
रातें  बनाती जुगुनुको चाँद ।
 रातें  चोरों  को आनंद की।
डाकुओं  की रातें,
पुलिस  की घाते ।
नव दंपति को
रातें  आनंद  भरी।
 रातें  पुलिस  को सतर्क  भरी।
रातें  स्मग्लर्स की चालाकी।
सृष्टि कर्ता धर्ता  को आनंद ।
रातें  न होती  तो ब्रह्मा को काम नहीं
पुलिस  गुप्तचर  को काम नहीं ।
रातें  अच्छी  मीठी फिर भी खतरे से  खाली नहीं ।
स्वरचितस्वचिंतक यस ।अनंत कृष्णन।

Monday, April 8, 2019

शरणार्थी (मु)


शरणार्थी (मु)
नमस्ते! 
भगवान का भक्त मैं,
अगजग में 
उनकी लीला से
घृणा!
क्यों  उसने 
जिसकी लाठी उसकी भैंस  की नीति
जिसका राज,उसकी संपत्ति  अपनाई।
पर एक अटल कानून से ही
 मैं  अति संतोष।

धन ,पद,अधिकार बल आदि से
मानव रोक नहीं  सकता ,
अपनी जवानी ।
अपनी बुढापा ।
अपने-अपने उत्थान -पतन।
नाश,मृत्यु।
अत: मैं  सर्वेश्वर  का शरणार्थी ।
स्वचिंतक  यस।अनंत कृष्णन ।

Thursday, March 28, 2019

वीणापाणी वर दे (मु )


वीणापाणी वर दे

गीतमाला जोडने,
शब्द फूल चाहिए ।
शब्द फूल के लिए
वर्ण रंग-बिरंगे फूल चाहिए ।
शब्द ज्ञान  के लिए
सरस्वती-वन्दना ।
वीणापाणी  का वरदान  चाहिए ।
वर दे वीणापाणी वर दें।

Wednesday, March 27, 2019

बढती ही रहेगी (मु )

परिषद को नमस्कार ।
शीर्षक :- कम नहीं  होता ।


संचालक : कौशल वंदना ।
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बढती ही रहेगी (मु ) सब को सादर प्रणाम।
कौशल की वंदना कम नहीं  होता।
एकलव्य,कर्ण,सुभास चंद्र बोस
जैसे कौशल लोगों को
दबाना भी कम नहीं होता।
ईमानदारी  की तारीफ़ कम नहीं  होती।
बेईमानी  की चुनाव
 सफलता  भी कम नहीं  होती।
सत्य  का यशोगान  कम नहीं  होता।
असत्य लोगों के पिछलग्गु की
संख्या भी
कम नहीं  होती।
बलात्कारी  की सजा बढती नहीं,
बलात्कार  घटनाएँ  भी कम नहीं होती।
रिश्वत अपराधी  को पकड़ने के अधिकारी  अधिक,पर बगैर रिश्वत  के काम नहीं  कम होता।
महँगाई भत्ता  बढती कम नहीं होती ।
महँगाई  भी कम नहीं  होती।
शिक्षा  शुल्क, पुरोहित  शुल्क,
चिकित्सा  शुल्क,
चुनाव  खर्च
 कम नहीं होता ।
बढती उम्र  घटती नहीं ।
  यही कारण है कि
बढती  घटती जिंदगी  में,
शांति  की होती कमी,
अशांति  की कमी नहीं होगी ।
स्वरचित स्वचिंतक यस ।अनंत कृष्ण ।




Saturday, March 23, 2019

संयम नहीं (मु )


संयम नहीं
**************


सब मित्रों को नमस्कार !

जनकल्याण के विषय में लिखते
आजकल अधिक नहीं।
एकाध लिखते हैं ,
पर उनका पता नहीं।

हाड -माँस के वर्णन में ,
मुहब्बत -प्यार -इश्क -प्रेम 
यों ही समाज में
युवकों को बिगाड़ने की बात.
संयम की बातें नहीं ,
प्यार न हो तो जिंदगी नहीं ,
महाविद्यालय के छात्र का लक्षण
किसीसे प्यार करना।
साहित्य समाज का दर्पण
एक ही नायक से कइयों का प्रेम ,
एक ही नायिका के मोह में कई
खलनायक नायक का घेर।
हत्या -आत्म ह्त्या ,
लड़ाई -झगड़ा ,
यही एक ही कथानक पर
नए -दृश्य -वातावरण में
युवकों युवतियों के दिल में
 खून करके
प्रेमी -प्रेमिका के
अपहरण के विचार की कथाएं,
नतीजा प्यार करो न तो
और किसी से जीने न दूंगा।
तेज़ाब फ़ेंक भद्दा बना दूंगा / दूँगी।
हत्या कर दूंगी /दूँगा।
समाज को बिगाड़ने की कहानियाँ
विदेशी आगमन का कुप्रभाव।
तलाक। डाइवर्स शब्द भारतीय भाषा में नहीं ,
राजकुमारी के लिए युद्ध ,
हज़ारों सैनिकों की मृत्यु
करते हैं राजा की वीरता की प्रशंसा
पर बलात्कार,अपहरण ,नारी के लिए
,नर केलिए ,
परिणाम मुग़ल आये.
ताजमहल बनवाये ,
उसके पीछे
बेरहहमी खून।
तुलसी दास नारी मोह छोड़
अपने अनुभव से लिखा।
काम क्रोध मद लोभ जब मन में लगी खान।
तब पंडित मूर्खोँ एक समान ,तुलसी कहत विवेक। .
अस्थिर जीवन ,अस्थिर जवानी ,नश्वर संसार।
-वल्लुवर ने कहा -
कछुआ जैसा संयम सीख ,
सात जन्मों में सुखी रह।
युवक सोचिये !
ऋष्य श्रृंगार बनिए ,
शैतानी स्वार्थी
चित्रपट निर्माता ,
पैसे लूट ,
जग बिगाड़कर ,
माया बिठाकर ,
वह भी चला जाता ,
जग छोड़.
सोचो ,संयम सीखो,
सीखो संयम।