Saturday, March 23, 2019

संयम नहीं (मु )


संयम नहीं
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सब मित्रों को नमस्कार !

जनकल्याण के विषय में लिखते
आजकल अधिक नहीं।
एकाध लिखते हैं ,
पर उनका पता नहीं।

हाड -माँस के वर्णन में ,
मुहब्बत -प्यार -इश्क -प्रेम 
यों ही समाज में
युवकों को बिगाड़ने की बात.
संयम की बातें नहीं ,
प्यार न हो तो जिंदगी नहीं ,
महाविद्यालय के छात्र का लक्षण
किसीसे प्यार करना।
साहित्य समाज का दर्पण
एक ही नायक से कइयों का प्रेम ,
एक ही नायिका के मोह में कई
खलनायक नायक का घेर।
हत्या -आत्म ह्त्या ,
लड़ाई -झगड़ा ,
यही एक ही कथानक पर
नए -दृश्य -वातावरण में
युवकों युवतियों के दिल में
 खून करके
प्रेमी -प्रेमिका के
अपहरण के विचार की कथाएं,
नतीजा प्यार करो न तो
और किसी से जीने न दूंगा।
तेज़ाब फ़ेंक भद्दा बना दूंगा / दूँगी।
हत्या कर दूंगी /दूँगा।
समाज को बिगाड़ने की कहानियाँ
विदेशी आगमन का कुप्रभाव।
तलाक। डाइवर्स शब्द भारतीय भाषा में नहीं ,
राजकुमारी के लिए युद्ध ,
हज़ारों सैनिकों की मृत्यु
करते हैं राजा की वीरता की प्रशंसा
पर बलात्कार,अपहरण ,नारी के लिए
,नर केलिए ,
परिणाम मुग़ल आये.
ताजमहल बनवाये ,
उसके पीछे
बेरहहमी खून।
तुलसी दास नारी मोह छोड़
अपने अनुभव से लिखा।
काम क्रोध मद लोभ जब मन में लगी खान।
तब पंडित मूर्खोँ एक समान ,तुलसी कहत विवेक। .
अस्थिर जीवन ,अस्थिर जवानी ,नश्वर संसार।
-वल्लुवर ने कहा -
कछुआ जैसा संयम सीख ,
सात जन्मों में सुखी रह।
युवक सोचिये !
ऋष्य श्रृंगार बनिए ,
शैतानी स्वार्थी
चित्रपट निर्माता ,
पैसे लूट ,
जग बिगाड़कर ,
माया बिठाकर ,
वह भी चला जाता ,
जग छोड़.
सोचो ,संयम सीखो,
सीखो संयम।

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