Sunday, March 10, 2019

रिश्तों की कैंची (मु )

नमस्ते!
 सब को   प्रणाम!
शीर्षक :रिश्तों की कैंची 


 रिश्तों की कैंची,
न मामा,
न मामी,
 न चाची,

 न बुआ,
न ननद,
 न सौतेली माँ,

कह रहे हैं
इनमें कोई .

वास्तव में मनोविकार,
सद्य फल

लालच,
ईर्ष्या,
क्रोध,
 बदले की भावना,

गरीबी,  रोग, ममता, अहंकार, काम.
हम कह रहे हैं रिश्ता.
ये भाव या मनोविकार कैसे?
सुख दुःख 
.दूसरौं की प्रगति,
 बाह्याडंबर.

मंथरा कैंची है तो
उसके कूबड की हीनता ग्रंथी.

कर्ण दुखी  है तो
अवैध पिता,
माँ का संकोच, निर्दयी। 

 दुर्योधन के पिता अंधा,
विदुर के  जन्म के कारण.

यह कैंची ईश्वर की लीला.
मुगल क्यों निर्दयी,
ईसाई कैसी सेवा करके  लूटना,

हिंदुओं में एकता न होना,
 बहुईश्वरीय, 
भगवान शिव के भक्त
इनमें भेद.

विष्णु  के भक्तों में  भेद. 
कैंची मनुष्य  का स्वार्थ.

देखिए.
 सब  का उद्देश्य 
देश हित है तो   
खर्च  चुनाव  न करके

उन रुपयों से 
देश की गरीबी दूर करना,

कट अउट, पताका,  कितने खर्च,
 ओट के लिए  पैसे

बाह्याडंबर
 यह एक राजनैतिक कैंची है.

मज़हबी कैंची है.
 स्वार्थता  की कैंची है.

भारतीय सब के सब भाई बहन है तो
जातियाँ कैंची है,
हर जाति के ईश्वर संप्रदाय  कैंची है.

थोडा में कहें तो
 राजनीति, भक्ति, स्वार्थ
 नेतृत्व ही

कैंची है.
स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन स्वरचित.

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