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Thursday, September 24, 2020

 

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தமிழாக்கம் :--
அனந்த கிருஷ்ணன் ,சென்னை .
( ஓய்வு பெற்ற தலைமை ஆசிரியர் ,.DrRamshankar Chanchalis withDrRam Shankar Chanchal
சில கனவுகள் கலைவதால்
வாழ்க்கை மரணம் அடைவதில்லை .
உண்மையில் அது நன்மையளிக்கும் .
சிலசமயங்களில்
தனிமையாக இருப்பது
தனக்குத் தானே பேசிக் கொள்வது
புன்சிரிப்பு சிரிப்பது
தன்னை மறந்திருப்பது
தன்னையே உலகின் ஆரவாரத்தில் இருந்து
பயம் -பீதியில் இருந்து ,ஹிம்சையில் இருந்து
மிக தொலைவில் அறியாத இடத்தில்
சுய மயக்கத்தில் முணுமுணுப்பது
நலமாகத் தோன்றுகிறது .
தனியாகச் செல்வது ,இயற்கையின் அழகை
ரசித்துக்கொண்டே
வெகு தொலைவில் நதி ,பறவைகள் ,மரங்கள்
ஆகியவற்றுடன் பேசிக்கொண்டே ,
அவைகளுடன் வாழ்ந்துகொண்டே
எனது சுய ஆனந்த மயக்கத்துடன்
தனியாக இருப்பதில்
ஆனந்தம் காண்கிறேன் .
कुछ सपनों के टूट जाने से जीवन नही मरा करते हे ........................
सचमुच
बहुत अच्छा लगता
कभी -कभी
अकेला होना
खुद से बाते करना
मुस्कना
ऑर खो जाना
खुद मे ही
दुनिया की भीड़ से
अलग
छल -कपट/हिसा-आतंक
सबसे बहुत अंजान
बेखबर /सुदूर
आफ्नो ही मस्ती मे
मस्त हो / गुंगुनाते
अच्छा लगता
अकेल चलते रहना
प्रकृति की रम्य
खूबसूरती को निहारते
मिलो दूर /सुदूर
नदी /नाले /पेड़ /पक्षी
सबसे
बाते करते
उनके संग जीते
मुस्काते
बल्कि सोचता हूँ
कभी -कभी क्यो
अक्सर अच्छा लगता है
इस
अमानवीय /दुष्ट
छल /भरी दुनिया से
अलग
अकेला होना
अकेला रहना
अपनी ही
मस्ती मे मस्त .........................मेरी लोकप्रिय कविता जिसका सिंधी भाषा मे भी अनुवाद हुआ अंतराष्ट्रीय संग्रह मे हुआ

Tuesday, September 22, 2020




तुलसी दास  की भक्ति 

 देव देव आलसी पुकारा

 ईश्वर का भक्त जग कर्तव्य के बीच

 भगवान का नाम लेता ।

भक्त भगवान का नाम लेता

कर्तव्य नहीं करता!

आलसी भिखारी!

 हमारी मिलजुलकर यात्रा कितने घंटे ?

यह सवाल साधारण या असाधारण ?

एक बस की यात्रा ,दो सीट दो व्यक्ति का। 

एक व्यक्ति बीच में एक थैली रखी है। 

अतः दुसरे को बैठना मुश्किल।

अगले सीट वाले ने कहा आप क्यों

 थैली उठाने को 

नहीं कहते ?

तब उसने कहा -थोड़े समय की यात्रा ?

इसमें क्यों लड़ाई -झगड़ा ?

थोड़े समय की यात्रा ?

हमारे सह मिलन ,कुटुंब की यात्रा 

सह यात्रा ,दोस्तों के साथ मिलना -जुलना 

कितने साल तक ?

चंद साल की यात्रा,

पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा  एक यात्रा। 

वे दोस्त साथ नहीं आते। 

छठवीं  से बारहवीं तक बस वे दोस्त 

कालेज तक नहीं आते। 

सोचा इस चंद समय ,चंद  साल  की यात्रा में 

कितनी दोस्ती ,कितनी दुशानी  ,

कितना प्रेम ,कितना नफरत ,

ईर्ष्या ,लालच ,भ्रष्टाचारी ,ठग 

यात्रा सत्तर साल तक ,भाग्यवान रहते तो सौ साल तक 

अस्थायी जीवन ,चंद साल की यात्रा। 

भला करो ,भला सोचो ,हानी न करो 

ऐसे जीवन कौन बिताता ?

एस। अनंत कृष्णन

Sunday, September 20, 2020


   अंतर्मन  यह मन  आत्मानुभूति ,

  ब्रह्मानंद ,सुखप्रद ,चैनप्रद। 

ऐसा एक  मन न होता ,तो 

मानव जीवन में सदा बेचैनी। 

लोभ यह चीज़ तुम्हारे घर में न होना ,

मेरे घर में होता ,अंतर्मन। 

बाहर मन दूसरा कहता।

ये भ्रष्टाचारी ,तुझे वोट न देता।

अंतर्मन कहता ,पर नमस्ते कह 

मत मांगते ही आपका ही मेरा वोट.

कहता बाहर मन। 

कर्जा लेकर न देने का बहाना मन में 

बाहर मन कहता तो क्या होता।

हाथ में माला ,मुँह  में राम 

अंतर्मन आसाराम ,प्रेमानंद। 

बाहर कहता तो जूते का मार। 

भूख दोस्त के यहाँ भोजन का वक्त 

अंतर्मन कहता खिलाता तो 

बाहर मन यही कहता अभी खाया है। 

रिश्वत देकर स्नातक ,

रिश्वत देकर अंक 

अंतर्मन बाहर प्रकट न करता।

विवशता  अंतर्मन में 

बाहरी मन लाचारी। 

कबीर ने  यों  ही बताया 

मनका मनका डारी दें ,

मन  का  मन  का फेर। .

बाह्याडम्बर काम का नहीं भक्ति में 

अंतरम…

[10:44 AM, 9/21/2020] Ananda Krishnan Sethurama: अब तो झूठ का बोलबाला है --


नमस्कार।  वणक्कम। 

 हम कहते हैं --अब तो झूठ का बोलबाला है। 

पर इनका समर्थन हम ही करते। 

यथा राजा तथा प्रजा। 

वादा न निभाया,अगले चुनाव वही वादा। 

वही शासन ,वही विधायक ,वही शासन 

हम ही मतदाता ,कहते हैं झूठ का बोलबाला।

मंदिर के आसपास नकली चन्दन ,नकली चंदनकी लकड़ी 

जानते हैं सब  चुप रहते क्यों ?

कहते हैं झूठ का बोलबाला है। 

जानते हैं भिखारी झूठा लंगड़ा ,फिर भी भीख देते हैं। 

कहते हैं झूठ का बोलबाला। 

सिंग्नल में  बच्चे सहित भीख ,

वह बच्चा न हिलता डुलता कटु धुप में भी 

कहते हैं झूठ का बोलबाला।

कोई भीख देता तो रोकना पाप। 

कहते हैं सर्वत्र झूठ का बोलबाला है। 

मंदिर दर्शन  जल्दी जाने कोई 

पहरेदार से पैसे देकर आगे जाता तो 

हम भी अनुकरण करते हैं ,रोकते नहीं 

कहते हैं झूठ का बोलबाला।

जल्दी काम होने पहले हम 

गलत रास्ते पर जाने सिफारिश की तलाश में 

कहते हैं झूठ का बोलबाला है। 

झूठ के पक्ष में ही हम 

फिर भी कहते हैं झूठ का बोलबाला है। 

जब मैं बच्चा था कहते झूठ पाप.

अब कहते हैं होशियार होनहार 

झूठ भाषण कला में वैज्ञानिक झूठ 

पता लगाना मुश्किल। 

कहते हैं झूठ का बोलबाला है। 

कृष्ण अश्वत्थामा जोर न लगाकर कुञ्जरः  जोर लगाता तो 

द्रोण  की मृत्यु न होती ,

हम कहते हैं 

हर कहीं झूठ का बोलबाला है. 

स्वरचित स्वचिंतक --एस। अनंत कृष्णन।

Friday, September 18, 2020

  बेशर्मी

विचार निकले मेरे।

बेशर्मी

  नमस्कार।

 हर पांच साल में 

एक महीना  नमस्कार 

बेशर्मी नमस्कार।

वही। वादा पिछले चुनाव का

परिवर्तन हज़ार रुपए नोट खोटा।

दो हज़ार बढ़ गए वोट का दाम।

बेशर्मी मत दाता देश के 

भ्रष्टाचार  से बढ़कर 

दो हजार तत्काल मिलते ही

अपने बेशर्मी वोट देता

उसी बेशर्मी मत दाता को

बेशर्मी अध्यापक अंक देता 

छात्राओं को पैसे लेकर

जैसे वैश्या अंग बेचती।

बेशर्मी मतदाता,बेशर्मी अधिकारी,

बेशर्मी शिक्षालय बेशर्मी न्यायालय।

जो भी हो ईश्वर देता सब को

आगे पीछे मृत्यु दण्ड।।

स्वरचित,स्वाचिं तक

एस.अनंत कृष्णन चेन्नई

 जहननुम है जिंदगी।

  जिंदगी स्वर्ग है या नरक।

 स्वर्ग है जिंदगी  ,

वहीं जिंदगी नरक है।

कोई दुखी व्यक्ति 

दुख भूलने  शराब पीकर 

पियक्कड़ बन जाता है

कहता है जिंदगी स्वर्ग है।

वही स्वर्ग उसको 

नरक की ओर ले जाता है,

उसके घरवाले गरीबेके  गड्ढे में 

नरक अनुभव,पियक्कड़

शराब लेने पैसे न तो नरक।

स्वर्ग  नरक हमारे व्यवहार से।

प्रेम एक पक्षीय है तो 

छोड़ना स्वर्ग,

उसी की याद नरक।।

रिश्वत भ्रष्टाचार के पैसे स्वर्ग।

उसके पाप का दण्ड

 ईश्वरीय नरक।

सत्संग स्वर्ग, बद संग नरक।

मत सोचो स्वर्ग नरक देवलोक में।

समाज का अध्ययन करो

पता चलेगा मनुष्य 

यही स्वर्ग नरक के

सुख दुख का

 दण्ड भोगता है।   

यही स्वर्ग है ऐसा

 कोई न कह सकता।

यही नरक है

 ऐसा नहीं कह सकता।

दोनों भोगता है मनुष्य।

स्वाचिंतक,स्वरचित अनंतकृष्ण।

 नमस्कार।

     शीर्षक :--कल का सूरज किसने देखा। 

कल का सूरज कौन देखेगा ?

जो बीत गयी ,बात गयी। 

जो बीतेगा ,पता नहीं। 

आज के सूरज की रोशनी में 

भूत को भूलो ,वर्तमान में संचय करो। 

कल के सूरज की चिंता नहीं ,

वर्तमान सोओगे तो 

कल के सूरज देख नहीं सकते। 

कल के सूरज देख नहीं सकोगे।

कल पाठ  न  पढ़ा ,कल पढ़ूँगा। 

कल दूका न  न खोला ,कल खोलूँगा। 

न कोई लाभ। आज पढ़ना है।

 आज दूकान खोलना है। .

तब कल के सूरज किसीने देखा कि  चिंता क्यों ?

तब कल के सूरज कौन देखेगा कि  चिंता क्यों ?

वर्तमान सही है तो सदा के लिए सूरज की रोशनी।