सार्थक है हिंदी प्रचार।
अर्थ की अवनति,
अर्थ पूर्ण जिंदगी,
 हिंदी प्रचार  में।
 अनर्थ नहीं, 
सार्थक है हिंदी प्रचार।
 नागरी लिपि सीखने 
 क्यों तमिलनाडु में संकोच?
पता नहीं, 
द्रमुक दल का प्रचार है
 गजब, घझढधब  के उच्चारण में
 पेप्टिक अवसर की संभावना।
 द्राविड़ पार्टी छोड़ दें,
 यहाँ के विप्र भी न जानते नागरी।
 क1क2क3क4 तमिल में वेद मंत्र की किताबें।
 पता नहीं, तमिलनाडु की वेदपाठ शालाओं में  देवनागरी लिपि सिखाते हैं कि नहीं।
    यकीनन  अर्थ की कमी,
   सार्थक जीवन 
  तमिलनाडु के 
   प्रचारकों का।।
  कोई भी प्रचारक 
 अपनी युवा पीढ़ियों को
 जीविकोपार्जन के लिए
 हिंदी पढ़ का
 समर्थन न करते जान।
 परिस्थिति ऐसी है तो
 हिंदी का  विकास 
 न होगा जान।।
 करोड़ों का खर्च,पर
 अंग्रेज़ी सरकार की जवान पत्नी।
 दशरथ चुप कारण जवान कैकेई।।
 सरकार चुप कारण अंग्रेज़ी।
 
 एस.अनंतकृष्णन, तमिलनाडु हिंदी प्रचारक।
  अर्थ नहीं,पर है सार्थक जीवन।
  भाग्यवश जो हिंदी प्राध्यापक ,
  सरकारी अध्यापक, हिंदी अधिकारी, बने,
हिंदी विकास की प्रशंसा बढ़ा-चढ़ाकर बोलते।
  ऐलान करने का दिल नहीं,
 सिर्फ हिंदी राज भाषा।
वास्तव में  स्वतंत्रता संग्राम की 
एकता अंग्रेज़ों के थप्पड़ से
 विदेश में  शुरु।
 गोखले, गाँधी, आधुनिक गाँधी परिवार, नेहरु ,पटेल ,तिलक, लाल,बाल,पाल अंग्रेज़ी में के पारंगत। 
  अंग्रेज़ी सीखने के बाद
 भारतीय भाषाएँ सीखना
 अति मुश्किल जान।
तमिलनाडु की युवा पीढ़ी,
 40000/+2छात्र  तमिल भाषा में अनुत्तीर्ण ।।
 कर्ड रैस,  लेमन रैस,  ओयइट चटनी, 
रेड चट्नी ग्रीन चट्नी
जिन्हें हम  जवानी में कहते 
नारियल चट्नी, तक्काली चट्नी, पुदीना /कोत्तमल्लि चट्नी।
 अंग्रेज़ी मगर मच्छर निगल रहा है
 तमिल भाषा को।।
भारतीय भाषाओं को ।
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
हिंदी प्रचारक।