Sunday, June 18, 2023

कबीर

 मैं चलता हूँ।

  मेरा मन पसंद दोहा  सोलह साल की उम्र से पालन कर रहा हूँ।

 जाको राखै साइयाँ,

 मारी और सके कोई।

बाल न बाँका करी सके,

जो जग वैरी होय ।।

 

 अग जग के लोग  सब के सब मेरे  दुश्मन है। मैं अकेला हूँ। मेरे रक्षक है  सर्वेश्वर। 

अनपढ़ कबीर  , अब वाणी के डिक्टेटर का कहना है  ,ईश्वर के हिफाजत साथ है तो बाल तक उखाड़ नहीं सकते। हम यही सिखाते हैं ज़रा सी हानि तक पहुँचा नहीं सकते। 

तमिल में कहना है कि मयइरैक्कूड पिडुंगमुडियातु।।

  यही मैं पालन कर रहा हूँ। 

 किसी का खुशामद या चापलूसी नहीं करता।

 मैं हूँ ईश्वर का शरणार्थी ।

उत्थान हो या पतन    ईश्वर पर निर्भर ।


 


 जननी जन्म सौख्यानां वर्धनी कुल सम्पदां । पदवी पूर्व पुण्यानां लेखन्यते जन्म पत्रिका .

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