Wednesday, June 7, 2023

चाह

 न नाम की चाह,न दाम की चाह।

चाह है सर्वेश्वर  की।

सर्वेश्वर  चाहें  तो सुनाम,कुनाम।

दाम-बदनाम।सुनाम।

 दानी कर्ण,संगति के फल से नहीं,

 ।निर्दयी माता के बदचलन के कारण।


 कर्म फल,ईश्वरानुग्रह  ।

राम को दुखी,कृष्ण  को षडयंत्रकारी, 

वाली वध में  बदनाम।द्रोण वध से कलंकित कृष्ण।

 ।जग माया,जग में  असुरों  को,

भ्रष्टाचारियों  का शासन।

यही  भूलोक नीति।

कर्म भूमि। तपोनिष्ठ  भूमि।

अच्छों  के कारण  समय समय पर,

पुनः  स्थापित कर स्वर्ग  बन रहा है भूमि।

अनुभव से शिक्षित दीक्षित हूँ  मैं। 

सुधारने कुछ कहा लिखा  तो

पत्थर फेंकते लोग।

श्री पर चढाये लोग। 

खुल्लम-खुल्ला  बोलते ,

कर्म कर, सत्य बोल,सेवा कर।

स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं। 

भ्रष्टाचार  को बढाने देते मत।


 स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्णन।

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