Saturday, June 3, 2023

हिंदी


मेरा जन्म आजाद  भारत में हुआ।

स्वतंत्रता संग्राम  के प्रबल दल कांग्रेस  का सत्ता आरंभ हुआ। तब के नेता अंग्रेजी को ही महत्व देते थे। सब के सब अंग्रेज़ी  भाषा के निपुण थे।

 उन सबका विचार  था कि 

भारतीय भाषाओं  में  वैज्ञानिक  बातें नहीं है।

 विचित्र बात थी कि भारत के उच्च वर्ग   के लोग भी अंग्रेज़ी सीखकर अपने को महान मानने लगे।  भारतीय  भाषाएँ  जो बोलते हैं,उनको बुद्धिहीन मानने लगे।  खेद की बात है कि प्रतिभाशाली  उच्च वर्ग के  संस्कृत  विद्वान  भी संस्कृत  को छोडकर अंग्रेजों  के गुमाश्ते बन गये । और भी विचित्र बात है कि कुछ अंधविश्वासी  ज्योतिषों ने कहा विदेशी शासन ईश्वरीय  देन है।

 संस्कृत  के ज्ञाता भी गायत्री मंत्र , संध्यावंदन तजकर अपना संस्कार 

में भूल करने लगे। परिणाम   उनका ईश्वरीय  महत्व  में कमी हुई।

आज तो तमिलनाडु  में  ब्राह्मणों की बस्ती  खाली। संतान न होने पर सर्प दोष कहते हैं पर गर्भच्छेद का बडा पाप। इसका मुगल और ईसाई लाभ उठा रहे हैं। उन मजहबों में अबार्शन तो पाप है। पर हिंदुओं के लिए सर्प दोष पाप है।  अबार्शन पाप नहीं।

 भारतीय  भाषाएँ  नालायक।

सत्तर साल के बाद भी बगैर  अंग्रेज़ी   के उच्च शिक्षा  असंभव ।

तमिलनाडु  में तीन हजार तमिल माध्यम   स्कूल बंद। जहाँ एक स्कूल बंद,वहाँ पाँच अंग्रेज़ी  माध्यम निजी स्कूल। वहाँ तीन साल के बच्चे के लिए 

किताबें आठ हजार। दान एक लाख।

 तमिल बोलने पर अपराध का जुर्माना  अलग।। 

 जय भारत।



 

 

No comments:

Post a Comment