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Thursday, September 25, 2025

सनातन धर्म

 अज्ञानता के ताले

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एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 

26-9-25

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जगत मिथ्या, ब्रह्म सत्यं 

 मानव शरीर धरती के

 अस्थिर मेहमान।

 माया के चक्कर में 

 यह सत्य जानकर भी

 वासनाओं के चक्कर में 

  सद्यःफल की इच्छा से

 मानव मन में चंचलता 

अज्ञानता केताले लगने के

 फलस्वरूप जिंदगी भर

 दुख का सामना !

 असत्य को सत्य मान,

 कर्म करना अज्ञानता के ताले लगाने से

 हिंदुओं के अनुसार माया,

 मुगलों के अनुसार शैतान,

ईसाई के अनुसार सात्तान

 यह सत्य पर पर्दा डालकर 

 अलौकिकता की ओर 

 काम, क्रोध मंद लोभ 

 अहंकार में  फँसाने से

 आत्मज्ञान भूलकर 

 लौकिक सुखों को 

 स्वर्गीय मानकर 

 मानव दुख ही दुख।

 अंत में जब संभल नहीं पाता,

 तब  अमानुषीय शक्ति 

 अपने नचाने को समझता।

 परिणाम   उम्र बीत जाती

 शरीर शिथिल हो जाता।

पुनर्जन्म में इस जन्म के पाप, अहंकार अगले जन्म में ज़ारी।

 ज्ञान चक्षु होने पर भी

 लक्ष्य के पहुँचने के पहले

 उपलक्ष्य, रिश्वत, भ्रष्टाचार, असत्य 

 अज्ञानता के ताले।

 सत्संग, आत्मा ज्ञान प्राप्त गुरु, वेद उपनिषद 

 अज्ञानता के ताले तोड़ने

 मार्ग दर्शक।

Wednesday, September 24, 2025

आचरण

 आचरण का आइना

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 एस.अनंतकृष्णन,

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आईना असलियत दिखाता है,

 सुंदर चेहरे की खूबसूरती

 सुंदर चेहरे के काले धब्बे।

 समाज के आइने में 

आचरण के शुभ अशुभ

 प्रतिबिम्ब  यश अपयश ।

 मनुष्य हर दिन होने के पहले

 सोच विचार के आइने में 

 अपने  स्वचिंतन करें तो

 आचरण के आइने खुद के व्यवहार का पता दिखाते।

 तिरुवल्लुवर ने अपने कुरल में कहा --

अपने दिल को जानकर झूठ मत बोलो,

 झूठा  प्रकट होने पर

 अपने दिल ही अपने को जलाएगा।

 कबीर ने कहा कि

 बुरे की तलाश में गया

 तो बुरा कोई न मिला।

 अपने ही दिल की खोज करने पर मुझसे बुरा न कोई मिला।

 अपने को पहचानकर

 अपने आचरण को श्रेष्ठ बनाना है।

आचरण के बारे में कहा गया है 

 धन गया तो कुछ नहीं गया,

 स्वास्थ्य गया तो कुछ गया,

 चरित्र गया तो

 सब कुछ गया।

 चरित्र का आइना 

 अपने चिंतन में 

 स्वयं को ऊँचा या नीचा दिखाएगा तो

 समाज के आइने  में 

 श्रेष्ठ या निम्न बनाएगा।

 कलियुग में भ्रष्टाचारी

 अपने को अपमानित नहीं समझता,

 वही चुनाव में जीत जाता।

 भ्रष्टाचार धन के बल पर।

 आइना चित्रपट का

 लुटेरे खूनी को

‌अंतराल के बाद नायक

 कानून रक्षक दिखाता।

समाज का आइना 

  आजकल रिश्वत खोरी को सुखी दिखाता है,

 पर कर्म फल की सजा प्रकृति देती है।

 फिर भी मानव का आचरण 

सही नहीं है।

कर्मफल

 कर्मफल

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एस.अनंतकृष्णन

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कर्म  

सुकर्म, कुकर्म।

पुण्यकर्म, पाप कर्म।

 कर्म  फल के अनुसार 

 पुरस्कार, दंड।

इसमें पूर्वजन्म कर्मफल।

बड़ों के पुण्य पाप का कर्मफल।

दादा दादी, 

माता-पिता का कर्मफल।

तटस्थता रहित कर्मफल।

अमीर घर में जन्म

 ग़रीब घर में जन्म।

 ज्ञानी होना,

 अज्ञानी होना,

स्वस्थ होना

रोगी होना,

 साध्य रोगी,

 असाध्या रोगी,

 सुंदर रूप,

 अपाहिज 

 गूँगा,बहरा, 

अंधा, अष्टावक्र 

रूप कुरूप होना

 सज्जन होना,

 दुर्जन होना,

 व्यापार में लाभ 

व्यापार में नष्ट,

  सरकारी नौकरी 

 अपराध करके बच जाना,

निरपराध को दंड मिलना 

 दुर्घटनाएँ,

 माता-पिता खोना,

 अनाथालय में पलना,

 पद पाना,

‍पदोन्नति होना,

 जेल जाना,

 सरकारी दंड पाना 

 कर्म फल ही है।

 जन्म लेने के पहले ही

 सिरों रेखा लिखकर 

 हुआ है, मानव जन्म।

  भाग्य का खेल,

 अपना अपना भाग्य 

 कर्म फल ही आधार।

 सबहीं नचावत राम गोसाईं।।

Monday, September 22, 2025

स्वच्छता दिवस

 विश्व स्वच्छता दिवस

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई 

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मानव 

 ज्ञान चक्षु प्राप्त जीव।

 क्या प्रयोजन?

आधुनिक वैज्ञानिक सुविधाओं से भरा जीवन।

क्या प्रयोजन?

वैज्ञानिक सुविधाओं के कारण,

 भोजन खिलाने के लिए भी यंत्र स्वचालित यंत्र।

 पंखा चलाने बंद करने रिमोट कंट्रोल।

 कार भी बिना ड्रैवर के।

 सब यंत्र।

मनुष्य प्रकृति से दूर।

  स्नातक स्नातकोत्तर डाक्ट्रेट की संख्या बढ़ रहे हैं!

 आवागमन की सुविधाएँ।

पर मन में विचार प्रदूषण,

 नगर विस्तार,नगरीकरण

 जंगलों को काटना,

 कारखानों की धुआएँ।

गन्दे उच्छिष्ट पानी को नदियों में मिलाना,

 ध्वनि प्रदूषण 

 जल प्रदूषण।

 प्राकृतिक प्रकोप।

वायु प्रदूषण।

 ओज़ोन के छेद।

 गर्मी बढ़ना।

 साँस लेने की कठिनाइयाँ

विषैले वायु, कीटाणु 

 संक्षेप में प्राकृतिक असंतुलन।

 भूतल पानी प्रदूषण 

 प्लास्टिक प्रदूषण 

 जलवायु के अनुसार 

 भोजन वस्त्र व्यवस्था थी

 अब पाश्चात्य ठंड प्रदेश की पोशाकें 

 भारत जैसे गर्म देश में 

 कौपीन मात्र स्वस्थ किसान।

 अब भोजन भी खाद मय।

परिणाम मानव अस्वस्थ 

अब सोचना पड़ा है

 विज्ञान अभिशाप।

 पैदल चलना बंद।

 अब पैदल चलने डाक्टर की सलाह लेते हैं।

फिर जंगलों को बनाना

 शारीरिक परिश्रम की ओर ज़ोर।

आटा पीसने का कसरत।

 पानी सींचने का कसरत।

 जल वायु जल प्रदूषण से

 बचने आक्सिजन, मिनरल वाटर।

विश्व स्वच्छता के लिए 

 प्रदूषण विभाग।

 कागज़ खानेवाली गायें।

इन सब से बचने, जागृत करने जागने जगाने

विश्व स्वच्छता दिवस चुनौती।

ऋषि मुनियों ने मुखौटा की बात हज़ारों साल पहले कहीं।

 अब विज्ञान का कहना है

 मुखौटा पहनो।

 प्रदूषण से बचो।

 जैन मुनियों ने व्यवहार से दिखाया,मुखौटों का महत्ता।





Tuesday, September 16, 2025

युग परिस्थिति

 नमस्ते वणक्कम्।

 आजकल लोग अपने अपने राग अपनी अपनी डफ़ली पर जाते हैं।

 कहते हैं माता पिता अपने आनंद के लिए 

संतानोत्पत्ति करते हैं तो

 उचित खर्च करके पालन पोषण करना है।

नहीं तो शादी नहीं करनी है। यह चित्रपट का संवाद है।  आपके कारण मैं पैदा होकर कष्ट भोग रहा हूँ।

लड़कियांँ शादी के लिए 

 शर्त लगाती है  संपन्न व्यक्ति चाहिए।

 निजी बंगला,कार,बचत बैंक में लाखों रूपये,

 शादी के बाद अलग परिवार या विदेश में नौकरी।

 हम दो हमारे एक बच्चे।

बात बात पर पति-पत्नी में 

 झगड़ा, तलाक तो चाय पीने की तरह कर देते हैं।

 आठ साल बच्चे की माँ अपने बच्चे की हत्या करके अवैध संबंध की ताज़ी खबरें अब मामूली हो गई।

 अध्यापक को मारने गाली देने का अधिकार नहीं है। तमिल में एक कहावत है,

गो चरवाहा गाय चराकर 

 घर घर छोडते हुए कहता है, ब्राह्मणी!गाय आ गयी! बाँधो न बाँधोतुम्हारी इच्छा।

 वैसे ही मैंने पढ़ाया है

 पढ़ो न पढो तुम्हारी मर्जी।

 स्वार्थता।

भ्रष्टाचार रिश्वत तो

 सब मानकर चलते हैं।

रूपया पांडेय बेचन शर्मा का लेख।

 पैसे जोड़ों, सात खून करो, साफ़ साफ़ बच जाओगे।

वैसे ही करौडों भ्रष्टाचार करो, लाखों करोड़ों जोड़ों

 चुनाव में सौ करोड़ खर्च करो।

विधायक बनोगे,सांसद बनोगे मंत्री बनोगे।

 अदालत में अखबारों में 

 भ्रष्टाचार की खबरें दो दिन।

 फिर चुनाव में बच जाओगे।

 भ्रष्टाचार मंत्री सांसद विधायक पर दोष नहीं 

 मत दाता पर दोष है।

यही संसार है, बहुरंगी।

पाप करने पर होम यज्ञ से प्रायश्चित।वह मत मतांतर मजहबी का मार्गदर्शन।

 जय जनता। जय भगवान की सूक्ष्म लीला।

एस, अनंतकृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Sunday, September 14, 2025

मैं वरिष्ठ हूँ

 नमस्ते वणक्कम्।

मैं वरिष्ठ हूँ।

 मन से युवा,

 ईश्वरीय कानून 

 देखने में बूढ़ा झाँकी।

मन को काबू में रखना 

 कितना मुश्किल।

 एक क्षण में रंक से राजा तक के विचार।

नगर पालिका सदस्य से मंत्री तक के विचार।

धीरोंदात्त धीरों ललित  धीर प्रशांत।

 आधुनिक कथानक

 अंतराल तक डाकू चोर लुटेरा, बाद में कानून उसके हाथ।

पुलिस जो नहीं कर सकता,वह करता है,

 मंत्री पुलिस सार्वजनिक सेवक नहीं,

 अमीरों का गुलाम।

उसको दंड देनेवाला 

 अंतराल के पहले का लुटेरा

कथा नायक बनाता है,

सब भ्रष्टाचारी अधिकाकारियों से

 रिश्वतखोरों से

ग़रीबों को बचाता है।

पियक्कड़ प्रोफेसर 

 छात्रों के लिए आदर्श

 सभी कथानक ऐसे।

 एक विचित्र कथानक जेलर में,

 हत्यारे लुटेरे को देखकर

 पुलिस अधिकारी भी डाकू लुटेरे बनना चाहता।

यह तो नयी कल्पना नहीं 

 बुद्ध की कहानी में अंगुली माल,

अत्याचारी अशोक का बुद्ध भिक्षु बनना।

  मन कितना सोचता है,

 मनकी चंचलता  मिट जाती तो आत्मज्ञान आत्मबोध मूक साधना में 

 मानव हो जाता तल्लीन।।

मन मनकी वासनाएंँ

 असीमित दुख के कारण।

 चाह गई चिंता मिटी 

 दस साल की उम्र का दोहा।

 अस्सी साल में भी निभा न सका।

 वल्लूवर का कुरळ्

सीखो, कसर रहित सीखो।

 सीखने के बाद पालन करो।

 सीखना सिखाना आसान।

अंत में मन का निर्णय 

 सबहीं नचावत राम गोसाईं 


एस, अनंतकृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

ज्ञान दर्पण

 ज्ञान दर्पण

एस.अनंत कृष्णन, चेन्नै,तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक


दर्पण बाह्य रूप के श्रुंगार के लिए।

सामाजिक दर्पण सामाजिक व्यवहार जानने के लिए.

व्यक्तित्त्व विकास के लिए ,

व्यक्तिगत विकास और प्रगति के लिए

चाल और चेहरे को तेजोमय करने के लिए

आम सभा में अपने ज्ञान से भाषण देने केलिए

लक्ष्मी पतियों की सलाह केलिए

सुचारू रूप से जीवन चलाने के लिए

स्वदेश में ही नहीं,ब्रह्मांड में नाम के लिए

सर्वत्र मर्यादा पाने के लिए।

आत्मज्ञान आत्मबोध के लिए

मन को काबू में रखने केलिए

ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति के लिए

भगवद् कृपा के लिए

पुनर्जन्म से बचने के लिए

ज्ञान दर्पण चाहिए।