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Tuesday, September 16, 2025

युग परिस्थिति

 नमस्ते वणक्कम्।

 आजकल लोग अपने अपने राग अपनी अपनी डफ़ली पर जाते हैं।

 कहते हैं माता पिता अपने आनंद के लिए 

संतानोत्पत्ति करते हैं तो

 उचित खर्च करके पालन पोषण करना है।

नहीं तो शादी नहीं करनी है। यह चित्रपट का संवाद है।  आपके कारण मैं पैदा होकर कष्ट भोग रहा हूँ।

लड़कियांँ शादी के लिए 

 शर्त लगाती है  संपन्न व्यक्ति चाहिए।

 निजी बंगला,कार,बचत बैंक में लाखों रूपये,

 शादी के बाद अलग परिवार या विदेश में नौकरी।

 हम दो हमारे एक बच्चे।

बात बात पर पति-पत्नी में 

 झगड़ा, तलाक तो चाय पीने की तरह कर देते हैं।

 आठ साल बच्चे की माँ अपने बच्चे की हत्या करके अवैध संबंध की ताज़ी खबरें अब मामूली हो गई।

 अध्यापक को मारने गाली देने का अधिकार नहीं है। तमिल में एक कहावत है,

गो चरवाहा गाय चराकर 

 घर घर छोडते हुए कहता है, ब्राह्मणी!गाय आ गयी! बाँधो न बाँधोतुम्हारी इच्छा।

 वैसे ही मैंने पढ़ाया है

 पढ़ो न पढो तुम्हारी मर्जी।

 स्वार्थता।

भ्रष्टाचार रिश्वत तो

 सब मानकर चलते हैं।

रूपया पांडेय बेचन शर्मा का लेख।

 पैसे जोड़ों, सात खून करो, साफ़ साफ़ बच जाओगे।

वैसे ही करौडों भ्रष्टाचार करो, लाखों करोड़ों जोड़ों

 चुनाव में सौ करोड़ खर्च करो।

विधायक बनोगे,सांसद बनोगे मंत्री बनोगे।

 अदालत में अखबारों में 

 भ्रष्टाचार की खबरें दो दिन।

 फिर चुनाव में बच जाओगे।

 भ्रष्टाचार मंत्री सांसद विधायक पर दोष नहीं 

 मत दाता पर दोष है।

यही संसार है, बहुरंगी।

पाप करने पर होम यज्ञ से प्रायश्चित।वह मत मतांतर मजहबी का मार्गदर्शन।

 जय जनता। जय भगवान की सूक्ष्म लीला।

एस, अनंतकृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

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