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Monday, September 29, 2025

नदियों की सुरक्षा

 नदियाँ हैं तो जीवन है 

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एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 

30-9-25

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नदियाँ न  तो न मानव जीवन,

 न वनस्पति जीवन,

 न पशु पक्षी

 न सभ्यता ,न संस्कृति,

 न स्थाई जीवन, 

 मनुष्य बनता आवारा।

 नदियाँ हैं सभ्यता का पालना।

सिंधु घाटी सभ्यता।

मनुष्य  का आवारा जीवन 

 स्थाई बना तो खेती के कारण।

 नदियों का पानी न तो खेती न करता।

 शिकारी असभ्य जीवन 

 नदियों के कारण ही 

 सभ्य जीवन बना मानव का।

कावेरी नदी के घाट पर

 अनेक नगर  विकास।

 मदुरै वैगै नदी के कारण।

 गोदावरी नदी के कारण 

 आँध्रा की समृद्धि।

 गंगा, यमुना, ब्रह्म पुत्रा, गोमती, नदियों के किनारे 

 कितने बड़े बड़े शहर,

 कितने तीर्थस्थान।

पानी नहीं तो भूमि सूखी,

 दरारें पड़ जाती,

 अकाल होगा,

 हरे भरे संपन्न समृद्ध भूमि

 नदियों, झीलों, जलप्रपात के कारण।

 प्यास लगने पर 

 पानी न मिलें तो 

 जीना दुश्वार।

  मानव ही नहीं 

 वनस्पति जगत 

 नश्वर हो जाता।

धनी रहीम जल पंक को ,

लघु जिय पिअत अघाय। 

उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय॥" 

 रहीम न इस दोहे में 

‌समुद्र  प्यासे के लिए बड़ा नहीं, कीचड़ भरे  पंक का जल बड़ा है।

 अतः नदियाँ हैं तो जीवन है,

 न तो देश अकाल।

 भारत किसानों का देश है,

 औद्योगिकरण देश को मरुभूमि बना रहा है।

रेगिस्तान भूमि में बाग की खबर।

 जीव नदियों के देश में 

 गंगा प्रदूषण, मिनरल वाटर बिक्री।

 भारत की समृद्धि के लिए 

 देश को कृषी प्रधान देश बनाना है, 

 नदियों का राष्ट्रीय करण 

 नदियों के संगम और बाँध बनाकर आसेतु हिमाचल को समृद्ध बनाना है।

 नदियों को जोड़ना है।

 नदियों को प्रदूषण से बचाना है।

 तभी भारत की कृषी का विकास होगा।

    जय भारत। जय भारत की जीव नदियाँ।

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