: राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस+++++++++++++++
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
5-9-25
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राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस
4सितंबर को हर साल,
वन्यजीव के नाश होने से
बचाने, वन्य पेड़ पौधे की
सुरक्षा करने मनाया जाता है।
इतिहास के पन्नों में,
मंदिर के शिल्पों में भी भी ऐ
जितने जीवराशियाँ हैं
उन्हें देखना है मुश्किल।
अतः जो जीव हैं
उन्हें बचाने वन्यजीव दिवस।
गैर कानूनी तरीके से
शिकार करना, जंगली पेड़ पौधों को काटना
मना है।
वन संपदा की सुरक्षा
पर्यावरण का संतुलन,
मोसमों का समय पर
आना, वर्षा होना
आदि के लिए
वन्य जीव और वनस्पति की सुरक्षा आवश्यक है।
वन्यजीव में शाकाहारी,
माँसाहारी चतुर चालाक
अनेक प्रकार के होते हैं।
प्रगति के मोती
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई
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प्रगति के लिए
प्रथम मोती
स्वास्थ्य रक्षा।
स्वास्थ्य के लिए
योगा, प्राणायाम।
फिर मानसिक चंचलता
दूर होने ध्यान।
प्रगति के लिए आत्मचिंतन,
आत्मपरिशीलन।
काम क्रोध मंद लोभ ईर्ष्या
भय आदि से बचना।
सत्संग में लगना।
आत्मज्ञान प्राप्त करने की
कोशिश में दिल लगाना।
राग द्वेष रहिऊ तटस्थ जीवन ।
सत्य का पालन,
ईमानदारी जीवन।
भ्रष्टाचार न करना,
संक्षेप में कहना है तो
मानवता निभाना।
प्रशंसनीय काम करना।
अपने लक्ष्य की ओर जाना।
उपलक्ष्य लक्ष्य पाने में बाधा।
ज्ञानार्जन में ही लगना।
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