हिंदी दिवस
एस. अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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एक सप्ताह एक दिन हिंदी दिवस।
जैसे दादा दादी के मृत्यु के दिन साल में एक दिन मनाते हैं।
फिर अगले साल याद करते हैं।
यों ही हर साल एक दिन
१४ सितौबर हिंदी दिवस।
क्या ७८ साल से मना रहे हैं।
सचमुच हिंदी के विकास और प्रगति अद्भुत चमत्कार।१२५ साल का हिंदी इतिहास।
तुलसी, सूर जोड़ते हैं
वास्तव में अवधि और व्रज भाषा।
भारतेंदु काल से ही हिंदी खड़ी बोली का भाषा स्वरूप।
१९००से।
गद्य शैली, नाटक एकांकी उपन्यास, कहानियां।
उर्दू शब्दों से भरा प्रेमचंद्र उपन्यास सम्राट।
संस्कृत तद्भव तत्सम का
जयशंकर प्रसाद।
पंत,निराला की कविताएं।
साकेत को समझ सकते हैं
तुलसी रामायण समझना मुश्किल।
अतः हिंदी का इतिहास १२५ साल का।
एक दिन दिवस सही नहीं,
दिन दिन हिंदी का दिवस मनाना है।
आज़ादी के ७८ साल में
अंग्रेज़ी माध्यम की लोक प्रियता हिंदी को नहीं।
कारण पितृ दिवस जैसे हिंदी दिवस मनाया जाता है।
इसकी प्रशंसा कैसे?
३६५दिन हिंदी दिवस मनाना है।
हिंदी के खर्च अनुवाद गोदाम में।
कारण एल.के.जी से डाक्टरेट तक अंग्रेज़ी माध्यम।
संस्कृत नाम मात्र की भाषा।
अंक पाने ६०% अंग्रेज़ी
४०% संस्कृत।
बस यह भी एक नाटक।
अंग्रेज़ी में थीसिस संस्कृत का डाक्ट्रेट।
बुनियाद ठीक नहीं है,
हिंदी इमारत की कल्पना दिवस ७८ साल से।
नारा तो ठीक है एक दिन
एक सप्ताह।जय हिन्द ! जय हिन्दी।
वास्तव में राज्य सरकार
केंद्र सरकार अंग्रेज़ी के विकास में
अंग्रेज़ी माध्यम खोलने की अनुमति।
एक तमिल माध्यम स्कूल बंद।
वहाँ दो अंग्रेज़ी स्कूल
एक प्रांत का दूसरा केंद्र का।
बातों में जय हिन्दी।
सोचिए।
मुझपर दोष मत लगाना।
जनता के दिल में
अंग्रेज़ी बस गयी।
हिंदी में तीस अंक ही तीसमारखाँ।
दसवीं के बाद हिंदी नहीं।
जय हिन्दी।
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