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Monday, September 22, 2025

स्वच्छता दिवस

 विश्व स्वच्छता दिवस

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई 

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मानव 

 ज्ञान चक्षु प्राप्त जीव।

 क्या प्रयोजन?

आधुनिक वैज्ञानिक सुविधाओं से भरा जीवन।

क्या प्रयोजन?

वैज्ञानिक सुविधाओं के कारण,

 भोजन खिलाने के लिए भी यंत्र स्वचालित यंत्र।

 पंखा चलाने बंद करने रिमोट कंट्रोल।

 कार भी बिना ड्रैवर के।

 सब यंत्र।

मनुष्य प्रकृति से दूर।

  स्नातक स्नातकोत्तर डाक्ट्रेट की संख्या बढ़ रहे हैं!

 आवागमन की सुविधाएँ।

पर मन में विचार प्रदूषण,

 नगर विस्तार,नगरीकरण

 जंगलों को काटना,

 कारखानों की धुआएँ।

गन्दे उच्छिष्ट पानी को नदियों में मिलाना,

 ध्वनि प्रदूषण 

 जल प्रदूषण।

 प्राकृतिक प्रकोप।

वायु प्रदूषण।

 ओज़ोन के छेद।

 गर्मी बढ़ना।

 साँस लेने की कठिनाइयाँ

विषैले वायु, कीटाणु 

 संक्षेप में प्राकृतिक असंतुलन।

 भूतल पानी प्रदूषण 

 प्लास्टिक प्रदूषण 

 जलवायु के अनुसार 

 भोजन वस्त्र व्यवस्था थी

 अब पाश्चात्य ठंड प्रदेश की पोशाकें 

 भारत जैसे गर्म देश में 

 कौपीन मात्र स्वस्थ किसान।

 अब भोजन भी खाद मय।

परिणाम मानव अस्वस्थ 

अब सोचना पड़ा है

 विज्ञान अभिशाप।

 पैदल चलना बंद।

 अब पैदल चलने डाक्टर की सलाह लेते हैं।

फिर जंगलों को बनाना

 शारीरिक परिश्रम की ओर ज़ोर।

आटा पीसने का कसरत।

 पानी सींचने का कसरत।

 जल वायु जल प्रदूषण से

 बचने आक्सिजन, मिनरल वाटर।

विश्व स्वच्छता के लिए 

 प्रदूषण विभाग।

 कागज़ खानेवाली गायें।

इन सब से बचने, जागृत करने जागने जगाने

विश्व स्वच्छता दिवस चुनौती।

ऋषि मुनियों ने मुखौटा की बात हज़ारों साल पहले कहीं।

 अब विज्ञान का कहना है

 मुखौटा पहनो।

 प्रदूषण से बचो।

 जैन मुनियों ने व्यवहार से दिखाया,मुखौटों का महत्ता।





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