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Sunday, October 26, 2025

आचरण

 ✍️ एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु


सदाचार, शिष्टाचार, इष्टाचार,

त्याग, तपस्या, विनम्र व्यवहार।

दुष्टाचार, दुराचार के साए,

जीवन को अंधकार में लाए।


स्वार्थ का आचरण पतन कराए,

निस्वार्थ भाव अमर बन जाए।

आस्तिक मन श्रद्धा जगाता,

नास्तिक भी प्रश्न उठाता।


प्रिय आचरण सुख देता प्यारा,

अप्रिय से जग होता हारा।

हिंसा जलाए, अहिंसा सिखाए,

कृतज्ञ मन ही आनंद पाए।


सत्याचरण से जग उजियारा,

असत्य करे जीवन दूषित सारा।

आदर्श रखो मर्यादा प्यारी,

राम समान बनो व्यवहारि।


कृष्ण का आचरण लो अपनाओ,

जनहित हेतु कर्म निभाओ।

नश्वर तन, नश्वर संसार,

पर आचरण है अमर आधार।


सोचो मन में कौन सा आचरण,

देता है जीवन को सम्मान।

जो रखे समाज में मर्यादा,

वही बने मानव का गहना सदा।


जागो, विचारो, जग को जगाओ,

आदर्श आचरण अपनाओ।

राम की राह, कृष्ण विचार —

यही है जीवन का सच्चा सार।

एस.अनंतकृष्णन,चैन्नै

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

काँच का मंदिर

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

26-10-25.

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कांँच का मंदिर

अद्वैत भावना का अद्भुत झाँकी।

कांच में भगवान के असंख्य रूप।

दर्शन करते

दर्शक की अनेक मूर्तियाँ।

आत्मा परमात्मा

एक है का प्रतीक।

काँच में मानव मूर्तियाँ।

आत्मा परमात्मा एक है

अद्वैत सिद्धांत का प्रत्यक्ष रूप अहं ब्रह्मास्मी।

दर्शन की विशेषता अति दार्शनिक।

हँसने पर हंँसता

रोने पर रोता।

न निकट रिश्ते के

समान रोते देखकर हंँसता।

सच्ची मित्रता के लक्षण

सच्चे रिश्तों के लक्षण

सच्चे दिव्य रुप दर्पण में।

काँच के मंदिर

केरल के नारायण गुरु की देन।

सुना है सिक्ख गुरु ने

कांच के महल गुरु द्वार।

असलियत दिखानेवाले

काँच महल दिव्य दर्शन।।

वही आत्मा परमात्म दर्शन।।

Saturday, October 25, 2025

आत्मज्ञान

 आत्मबोध


— एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक


आत्मबोध, आत्मज्ञान,

अखंड बोध, अपना पहचान।

अपने मन को जानो पहले,

ज्योति जगाओ अंतर में खेले।


लौकिक वासनाएँ भारी,

माया जाल पसारे सारी।

मन को जो बाँधे रस जाल,

करो उसे निर्मल, निष्काम, निहाल।


जब मन स्थिर, विचार पवित्र,

जागे भीतर चेतन चित्र।

अहं आत्मा, अहं परमात्मा —

ब्रह्मास्मी का सत्य प्राणवा।


कबीर ने कहा — “लाली लाल की, जित देखूँ तित लाल,”

देखन मैं गयी, बन बैठी खुद लाल।

यह अद्वैत का सरल गान,

जो जाने, वही महान।


“बुरा जो देखन मैं गया, बुरा न मिल्या कोय,

जो दिल खोजा अपना, बुरा न मिल्या कोय।”

यह आत्मचिंतन का ज्ञान,

देता जीवन को नव प्राण।


आत्मबोध का जो ले नाम,

मिट जाए भीतर का अंध-ग्राम।

माया टूटे, मन हो शांत,

जागे आत्मा — बने ब्रह्म तत्त्व।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति 

Thursday, October 23, 2025

इंतजार

 


— एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु

(हिंदी प्रेमी प्रचारक की स्वरचित रचना)

 24-10-25


शिशु रोता भूख लगते ही,

माँ के आँचल की प्रतीक्षा।

विवाह के बाद दंपति को,

संतान-सुख की प्रतीक्षा।


विद्यार्थी को परीक्षा फल की,

युवा को नौकरी की चाह।

किसी को जीवन-संगी की,

किसी को प्रेम-नज़र की राह।


तपस्वी को प्रभु-दर्शन की,

पत्नी को पति-आगमन की।

व्यापारी को ग्राहक मिलने की,

माता को बाल-आगमन की।


लॉटरी टिकट खरीदने वाले को,

जीत की मधुर प्रतीक्षा।

वनस्पति को मेघ बरसने की,

धरती को नीर की प्रीति।


राजनीति में नेता जन-मत की,

बूढ़े को मुक्ति की आशा।

आरंभ से लेकर अंत तक,

जीवन बस — प्रतीक्षा ही प्रतीक्षा।


Wednesday, October 22, 2025

आशाओं के दीप।

 


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 आशाओं के दीप


— एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक


जब जीवन में छाए अंधेरा,

मन हो जाए बिल्कुल घनेरा।

तब मत रुकना, मत घबराना,

आशा का दीप जलाना। 


हर पथ में बाधाएँ घेरें,

काँटे भी साथ सफ़र में फेरें।

कदम न रुकें, विश्वास बढ़ाना,

आशा का दीप जलाना। 


असफलता जब गले लगावे,

मन को दुःख की लहर डुबावे।

तब भी हँसकरराह बनाना,

आशा का दीप जलाना। 


ठग ले कोई, धन चला जाए,

प्रिय बिछुड़ें, सुख दूर हो जाए।

फिर भी हृदय में दीप जलाना,

आशा का दीप जलाना। 


ईश्वर पर विश्वास रखो रे,

कर्म पथ पर रुख न मोड़ो रे।

हर संकट में जीत दिखाना,

आशा का दीप जलाना। 🕯️

Tuesday, October 21, 2025

आदमी और खुशी

 खुशियों की तलाश

— एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई


मानव सदा चाहता है

आनंदमय जीवन जीना।

खुशियों की तलाश में

कभी तीर्थ जाता है,

कभी समुद्र तट पर

हवा खाने निकल जाता है।


गर्मी में पहाड़ों पर,

सर्दी में धूप की तलाश —

हर ऋतु में ढूँढता रहता है

सुख का नया आभास।


नौकरी में,

संबंधों में,

योग्य जीवनसाथी की चाह में,

वह हर ओर भटकता है

खुशियों की राह में।


कोई तपस्या में रमता है,

कोई मधुशाला में डूब जाता है,

कोई संगीत में खोकर,

मन का बोझ भुला देता है।


दोस्तों संग हँसी ठिठोली,

घर-आँगन के खेल,

यज्ञ, होम, मंदिर दर्शन —

सब एक ही मंज़िल की ओर —

मानसिक संतोष, सुख की खोज।


कभी जलप्रपात में नहाने,

कभी जंगल में मंगल मनाने,

कभी अजायबघर, चिड़ियाघर,

हर जगह —

आदमी खुशियाँ खोज ही लेता है।

Monday, October 20, 2025

शिक्षक

 


– एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

21-10-25


शिक्षक दीपक, ज्ञान ज्योति है,

कलम उसी की ज्योति प्रीति है।

वह लिखता जब सत्य की बात,

जग पाता नव जीवन-प्रभात॥


ग्रंथों में मोती चुन चुन कर,

छात्रों को देता सदा उजागर।

अंधकार मिटाता मन से,

भर देता विज्ञान-किरन से॥


प्रशिक्षण पाकर नव युगधर्मी,

कलम से रचता भाव कीर्मी।

विज्ञान, कला, राजनीति सारी,

उसकी दृष्टि विवेक-संचारी॥


अभिनय, संगीत, कला का संग,

शिक्षक में हो गुणों का रंग।

जो अंतर्क्रिया जग में लाए,

वह सच्चा शिक्षक कहलाए॥


कलम न उसकी साधन मात्र,

वह आत्मा उसकी — दीप प्रातः।

ज्ञान-सृजन की यही निशानी,

शिक्षक-कलम अमर कहानी