✍️ एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु
सदाचार, शिष्टाचार, इष्टाचार,
त्याग, तपस्या, विनम्र व्यवहार।
दुष्टाचार, दुराचार के साए,
जीवन को अंधकार में लाए।
स्वार्थ का आचरण पतन कराए,
निस्वार्थ भाव अमर बन जाए।
आस्तिक मन श्रद्धा जगाता,
नास्तिक भी प्रश्न उठाता।
प्रिय आचरण सुख देता प्यारा,
अप्रिय से जग होता हारा।
हिंसा जलाए, अहिंसा सिखाए,
कृतज्ञ मन ही आनंद पाए।
सत्याचरण से जग उजियारा,
असत्य करे जीवन दूषित सारा।
आदर्श रखो मर्यादा प्यारी,
राम समान बनो व्यवहारि।
कृष्ण का आचरण लो अपनाओ,
जनहित हेतु कर्म निभाओ।
नश्वर तन, नश्वर संसार,
पर आचरण है अमर आधार।
सोचो मन में कौन सा आचरण,
देता है जीवन को सम्मान।
जो रखे समाज में मर्यादा,
वही बने मानव का गहना सदा।
जागो, विचारो, जग को जगाओ,
आदर्श आचरण अपनाओ।
राम की राह, कृष्ण विचार —
यही है जीवन का सच्चा सार।
एस.अनंतकृष्णन,चैन्नै
तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना
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