Search This Blog

Sunday, October 5, 2025

जिज्ञासा

 जिज्ञासा 

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई 

6-10-25.

+++++++++++++

 मानव  सदा नयी बातें

 जानने की इच्छा रहता है।

 ताज़ी खबरें सुनने का जिज्ञासु हैं।

नये नये स्थान देखने की  

इच्छा रखता है।

 जिज्ञासा न हो तो

 न नये नये आविष्कार।

 न नये नये आवागमन साधन।

 न कृषी के आधुनिक साधन।

 न साहित्य का विकास।

 न  भाषा विज्ञान।

 न नये देश और  न नये द्वीपों का  आविष्कार।

 न वास्तु कला में विकास।

 न संगीत न नाट्य कला।

 मानव संस्कृति ,

 मानव सभ्यता,

 नयी क्रांतियाँ,

 नयी सोच ,नये विचार 

 आर्थिक क्रांतियाँ,

 युग युग की क्रांतियाँ।

 राजनैतिक क्रान्तियाँ

 जिज्ञासु मानव की देन।

 घुमक्कड़ जिज्ञासा 

  समुद्र की खोज 

 सब के मूल में है

 जिज्ञासा प्रवृत्ति।

No comments:

Post a Comment