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Friday, October 17, 2025

धनतेरस आदर्श मार्ग



धनतेरसएस. अनंतकृष्णन, चेन्नई18-10-25

मानव जीवन की तीन मांग —
भोजन, वस्त्र, और एक आँगन।
कबीर वाणी कहती प्यारी,
साईं इतना दे तू न्यारी —
जामे कुटुंब समाय,
मैं भी भूखा न रहूँ,
साधु न भूखा जाए।

फिर चौथी माँग धन की आई,
जिससे बढ़ी लौकिक चाह समाई।
वही बन जाती दुख की जड़,
लालसा में मन पड़ता अड़।

धनतेरस दिन शुभ मंगलकारी,
असुर हुए पराजित भारी।
लक्ष्मी आयीं जगत उजियारा,
धनवंतरी दे तन को प्यारा।

धन की देवी, शिव, धनवंतरी,
तीनों कृपा बरसाएँ नित धरी।
आरोग्य, सुख और शांति अपार,
यही दिन करता जीवन सुधार।

स्मरण करो सद्गुरु की वाणी,
सबहीं नचावत राम गोसाईं।
सुख हो या दुख — एक समान,
ईश्वर स्मरण ही जीवन ज्ञान।

जय शिव शंकर!
जय माँ लक्ष्मी!
जय धनवंतरी महान!

एस . अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

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