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Thursday, October 16, 2025

अनुभव

 नमस्ते वणक्कम्।

 सभी दलों के सदस्यों को।

 अनुभव बता रहा है,

 जवानी के विचार अलग।

 वरिष्ठता में अनुभव बताकर 

 मार्ग दिखाना ही कर्तव्य।

 पर जवानी का व्यवहार ही अलग।

 बूढ़ा बक रहा  है,

जवानी में कैसा रहा होगा।

 ज़रा सोचिए,

 संस्कृत का आदि कवि 

वाल्मीकि डाकू लुटेरा,

 उसका पालन करके कवि बनूँगा,

 कितनी मूर्खता है।

पत्नी से हमेशा चिपककर 

रहनेवाला तुलसी,

 रामकथा भक्त बने।

 फिर हिंदी भक्ति साहित्य के चौद्र बने।

 उनके अनुभव से

 यह सीखना अति मूर्खता है

 मैं भी पत्नी से चिपककर रहूँगा

 उसके क्रोधाग्नि से  भक्त बनूंगा

 तुलसीदास के अनुभव से 

 कौन सी बात सीखनी है,

वह बुद्धिमानी की बात।

 सिद्धार्थ आधी रात में 

 पत्नी छोड़कर गये,

 ज्ञानी बने, ऐसा अनुकरण 

 करना सही है क्या?

 गृहस्थ जीवन निभाना,

 साथ ही आध्यात्मिक अपनाना 

 वही तमिल कवि वल्लुवर की सीख।।

 अरुण गिरी नाथ 

 वेश्यागमन 

 असाध्य रोगी बने,

 आत्महत्या की कोशिश में 

 भगवान ने ज्ञान दिया।

 सब के जीवन में 

 ऐसा अपूर्व घटना न होगी।

 ऐसे अनुभव कण्णदासन के जीवन में।

 राजा भर्तृहरि के जीवन में 

 पत्नी का अवैध संबंध,

 वे संन्यासी बने।

  अनुभवी लोगों के जीवन से

 सीखना है,

 यह ग़लत धारणा है

 प्यार के कारण कविता चमकेगी।

पियक्कड़ बनने से कवि बनेंगे।

 

वरिष्ठों के अनुभव से सीख सीखनी है।

 तभी जवानी में चरित्र निर्माण 

 और अनुशासन सुखी जीवन होगा।

किसी कवि ने अपना नाम 

 लिखकर लिखा

 कोई न कहे, किसीने नहीं कहा कि  किसीने मार्ग दर्शन नहीं किया।

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

 



 



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