जीवन धन
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
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मानव जीवन के लिए
धन आवश्यक है।
कैसा धन यही सवाल है?
आर्थिक संपत्ति अस्थाई,
संसार की सृष्टियाँ अस्थाई।
लक्ष्मी तो चंचला,
नाते रिश्ते अस्थाई
हमारा जीवन भी अस्थाई
तब तो जीवन धन क्या है?
जीवन धन तो ज्ञान।
उस में भी आत्मज्ञान।
आत्मबोध अखंडबोध।
चंचल मन का दमन।
मानवता का पालन।
परोपकार , सद्विचार
चरित्र निर्माण,
अंत तक स्वास्थ्य रक्षा।
अपने दायरे में सद्नाम।
साहित्य निर्माण।
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