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Saturday, October 4, 2025

मीठी बोली बोलना

 शब्दों के तीर

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एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई 

5-10-25

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रहिमन जिह्वा बावरी ,

 कही गयी स्वर्ग पाताल,

 अपुन तो  भीतर गई,

 जूति खात कपाल ।।


 संत कवि तिरुवल्लुवर ने कहा है,

आग की चोट लगी तो 

भर जाएगी।

 जीभ से लगी चोट

 कभी न भरेगी।।

कबीर ने कहा 

 मधुर वचन है औषधी

 कटुक वचन है तीर।

श्रवण द्वारा संचरै,

साले सकल शरीर।।

मीठी बातें रहते,

कडुवीं बातें कहना

फल रहते कच्चा फल 

 तोड़ने के समान।

 बुद्ध भगवान नै

 अपनी मधुर वाणी द्वारा 

 डाकू अंगुलीमाल को

 सुधारा ।

तुलसी मीठे वचन थे,

सुख उपजते चहूँ ओर।

वसीकरण यह मंत्र है,

परिहरि वचन कठोर।।

ऐसी वाणी बोलिये" संत कबीर दास का एक प्रसिद्ध दोहा है: "ऐसी वाणी बोलिए, 

मन का आपा खोये। 

औरन को शीतल करे, 

आपहुं शीतल होए।

  हमें भाईचारे 

 प्रेम से जीना है तो

 मीठी बोली बोलना चाहिए ‌।

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