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साधना सिद्धि
(एस. अनंतकृष्णन)
साधना-सिद्धि मानव हेतु,
अति कठिन तप का मार्ग।
हर वर्ष नया आविष्कार,
हर युग में नया भार।
ऋण बाँटते बैंक सजग,
डेपासिट का युग गया।
जो कर्ज़ ले, वह सुखी दिखे,
जो दे, वही रोया गया।
तमिल में कहा गया सत्य —
“कर्ज़ लिया तो मन उतरा,
कर्ज़ दिया तो मन जला।”
आज यही संसार चला।
पाँच हज़ार वाला पकड़ा,
करोड़ों वाला मुक्त हुआ।
धर्म कहाँ, न्याय कहाँ?
सत्य क्यों मौन हुआ?
कब आएगा वह क्षण,
जब अन्याय पिघलेगा?
क्या भगवान देखता रहेगा,
भ्रष्टाचार का खेल यह चलता रहेगा?
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना
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