काव्यमंच -मेघदूत को एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार।
मेघदूत मंच के लिए मेरी पहली कृति।
शीर्षक --साहस।
विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली।
31-3-25.
---------------
कबीर वाणी याद आती,
साहस की बातें।
मैं बौरी डूबन डरी,
रही किनारे बैठ।
साहसी गोताखोर न होता तो
चमकीले मोती न पाता मानव।
साहसी मनुष्य न होता तो
नये देश और द्वीपों का पता कैसे?
चंद्र व मंगल ग्रह की पहुँच कैसे?
गिर गिर कदम रखनेवाले शिशु,
माता -पिता साहस न दिलाते तो
चलते फिर दौड़ते भागते
आगे बढ़ते कैसे?
माई का वीर लाल न होते तो
देश की सुरक्षा कैसे?
गोरी गजनी को सत्रह बार के
आक्रमण लूट को रोकते कैसे?
साहसी भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद,
लाल,बाल ,पाल नेता न तो
स्वतंत्रता प्राप्ति कैसे?
जनरल टायर की निर्दयी
हत्या का सामना करते कैसे?
साहसी न रहते तो एवरेस्ट चोटी पर पैर रख झंडा फहराते कैसे?
खानों का पता कैसे,
हीरे चाँदी सोने की चमक कैसे?
साहस न होते तो सिकंदर को भगाते कैसे?
घने जंगल में जड़ी-बूटियों का पता लगाते कैसे?
घोर जंगल में तपस्या कैसे?
साहस साहसी न तो अमन चमन कैसे?
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना