Sunday, April 6, 2025

भरोसा विश्वास

 


साहित्य बोध दिल्ली इकाई को एस. अनंतकृष्णन  का नमस्कार वणक्कम्।

 विषय =भरोसा एक ऊर्जा हैती है।

 विधा --अपनी हिंदी अपने विचार 

             अपनी स्वतंत्र शैली। भावाभिव्यक्ति 

 ,6-4-25.

  मानव का जन्म  भरोसे पर ही।

  शिशु न जानता  किस विश्वास पर?

 माता-पिता का विश्वास है,

 हम खिला पिलाकर पालेंगे।

 पढाएँगे,बढाएँगे,

 नाम पाएगा, ओहदे पर बैठेगा।

 पतझड़ का भरोसा  है,

 वसंत में हरियाली आ जाएगी।।

किसान का विश्वास है

 फसल पकेगा,

 मेहनत का फल मिलेगा।

 तुलसी का कहना है


एक भरोसा एक बल ‍ एक आस विश्वास।

एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीराम।।

 मानव,पशु-पक्षी,  वनस्पति सब

 पंचतत्वों के भरोसे पर।

 मानव का बल भरोसा ही।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

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