Wednesday, April 30, 2025

जागृति ही सबेरा

 साहित्य बोध, हरियाणा इकाई को एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार वणक्कम्।

विषय --जब जागो तभी सवेरा।

 विधा --अपनी हिंदी अपने विचार 

           अपनी स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति 

 30-4-25

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जिंदगी  अंधेरे में  है तो

नींद में ही है जानो।

 मानो दिन 24 घंटे दिन।।

कारखाना दिन रात है-तो

 रात की नौकरी दिन समान।

 जब जागो तभी सवेरा।

विमान में चालक चलाता रहता है,

 यात्री के लिए रात तो

 चालक के लिए दिन ही जानो ।

 रेल, बस में भी यात्री के लिए रात।

 चलानेवालों के लिए दिन।

 जय जवान जय किसान।

 जवान को चौकसी करनी पड़ती।

किसान को खेत के काम सबरे।

 जब  जागो तब सवेरा।

 एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

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