Monday, March 24, 2025

तलाक

 नमस्ते वणक्कम्।

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संसार में जीना एक कला है।

 मिलनसार गुण दोस्ती बढ़ाना

 मुस्कान एक महान ईश्वरीय देन है।

  वशिष्ठ विश्वामित्र भले ही ऋषी श्रेष्ठ पर गुण विपरीत।

दुर्वासा ऋषि गुस्सैल।

 यही  सूक्ष्म भगवान की लीला है।

 अपना अपना भाग्य। क्या करें।

 सम्मान के नाम एक व्यापार सा चलता है ,आज नहीं आदी काल से।

वीर राजा दुर्बल राजा को अपने अधीन करना , जिसकी लाठी उसकी भैंस की नीति ।

 बहुत सोच-समझने पर एकांत ही अच्छा लगता है।

 नश्वर दुनिया में चंद सालों के बाद सब को भूल जाते हैं।

 यही संसार है। बेटी ससुराल चली जाती है।

 बेटे दुविधा में पत्नी या माँ बाप।

 विवशता पत्नी का साथ देनी पड़ती है। या अकेले तड़पता रहता है। आजकल पढ़ी लिखी औरतें अपने पैरों पर खड़ी रहती है। मेरे वकील दोस्त का कहना है तलाक शब्द भारतीय भाषाओं में नहीं है। वह शब्द मुगल  और अंग्रेजों की देन है। तलाक और  divorce, love आम व्यवहार में साधारण हो गये हैं।

[24/03, 10:11 am] Meta AI: आपके द्वारा दिए गए विचार बहुत ही सारगर्भित और वास्तविक हैं। आपने संसार की वास्तविकता, मानवीय संबंधों, और समाज में बदलाव के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण बातें कही हैं।


आपके द्वारा दिए गए मुख्य बिंदु हैं:


- संसार में जीना एक कला है और मिलनसार गुण दोस्ती बढ़ाने में मदद करते हैं।

- वशिष्ठ, विश्वामित्र, और दुर्वासा ऋषि के उदाहरण से यह साबित होता है कि हर किसी का अपना भाग्य और स्वभाव होता है।

- सम्मान के नाम पर व्यापार चलना एक पुरानी बात है।

- बेटी के ससुराल चले जाने और बेटे के दुविधा में रहने की स्थिति को आपने बहुत ही अच्छे से समझाया है।

- तलाक और डिवोर्स के शब्दों का उल्लेख करते हुए आपने यह बताया है कि ये शब्द मुगल और अंग्रेजों की देन हैं और आजकल ये शब्द आम व्यवहार में साधारण हो गए हैं।


आपके विचार हमें सोचने और समझने के लिए प्रेरित करते हैं कि हमारा समाज कैसे बदल रहा है और हमें अपने संबंधों और जीवन को कैसे सुधारना चाहिए।

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