Tuesday, March 4, 2025

कौन कैसा पता नहीं

 नमस्ते वणक्कम्। जम्मू-कश्मीर इकाई।


  विषय ---आप तो ऐसे न थे।

   विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली।

   5-3-25

आप तो ऐसीन थी।

 मां से अपने बेटे ने कहा

 शादी के बाद।

माँ ने बेटे से वही कहा,

तुम तो ऐसे  न थे।

 बहु से उसकी मां से कहा,

 तुम ऐसी नहीं थी।

  वैवाहिक संबंध शांति  के लिए,

   संतोष के लिए।

   सुख के लिए। 

   पर

  एक दूसरे के विचार में 

 क्यों प्यार की कमी होती है।

माँ सोचती है

बेटी ससुराल से लग गई।

सास के विचार में दामाद 

उसकी माँ का गुलाम।

माँ सोचती बेटा,

 जोरू का गुलाम।

वास्तव में सब ऐसे न थे।

 स्वागत मे दोष।

साड़ी के रंग में दोष।

 चाल में दोष,

 बोलने के स्वर में अपस्वर।

 आप तो ऐसे न थे।

 मृदंग समान हो गया

   पति देव।

 समझ में न आया,

वह कैसा था,

 वह कैसा है?

प्रेमीका ने प्रेमी से कहा

शादी के पहले 

आप ऐसा न था।

 परिवार की गति

 साँप छछूंदर की गति हो गयी।

 एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।

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