Monday, March 31, 2025

साहस

 काव्यमंच  -मेघदूत को एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार।

 मेघदूत मंच के लिए मेरी पहली कृति।

शीर्षक --साहस।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली।

31-3-25.

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कबीर वाणी याद आती,

 साहस की बातें।

 मैं बौरी डूबन डरी, 

रही किनारे बैठ।

 साहसी गोताखोर न होता तो

 चमकीले मोती न पाता मानव।

 साहसी मनुष्य न होता तो

 नये देश और द्वीपों का पता कैसे?

चंद्र  व मंगल ग्रह की पहुँच कैसे?

 गिर गिर कदम रखनेवाले शिशु,

 माता -पिता साहस न दिलाते तो

 चलते फिर दौड़ते भागते 

आगे बढ़ते कैसे? 

 माई का वीर लाल न होते तो

 देश की सुरक्षा कैसे?

 गोरी गजनी को सत्रह बार के 

 आक्रमण लूट को रोकते कैसे?

 साहसी भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद,

 लाल,बाल ,पाल नेता न तो

 स्वतंत्रता प्राप्ति कैसे?

 जनरल टायर की निर्दयी 

हत्या का सामना करते कैसे?

 साहसी न रहते तो एवरेस्ट चोटी पर पैर रख झंडा फहराते कैसे?

 खानों का पता कैसे,

 हीरे चाँदी सोने की चमक कैसे?

साहस न होते तो सिकंदर को भगाते कैसे?

 घने जंगल में जड़ी-बूटियों का पता लगाते कैसे?

 घोर जंगल में तपस्या कैसे?

  साहस  साहसी न तो अमन चमन कैसे?


एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

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