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Tuesday, July 8, 2025

मातृभाषा

 मातृ भाषा बोलने में 

गौरव का अनुभव,

 अंग्रेज़ी बोलने में 

 शर्म,

 गृहमंत्री का कथन सत्य    होना है तो   अंग्रेज़ी माध्यम के चालीस हजार 

 CBSE स्कूल, अंग्रेज़ी माध्यम के सभी उच्च शिक्षा महाविद्यालय,

जो आज़ादी के पहले से आज तक जनता का आकर्षण,

 जीविकोपार्जन के लक्ष्य है,

 उसका बंद करना,

 सांसद विधायक सरकारी अधिकारी, अध्यापक, प्राध्यापक बच्चों को

 सरकारी  मातृभाषा में पढ़ाने का आदेश देना चाहिए।

 यह संभव है तो अंग्रेज़ी का महत्व घटेगा।


 


मेरी हिंदी यात्रा

 मेरा जन्म तमिलनाडु में हुआ। पत्राचार पाठ्यक्रम दिल्ली विश्वविद्यालय में  बी ए, पर मैं अपने तमिलनाडु से न हिला।

 फिर एम.ए, आंध्र प्रदेश वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में निजी छात्र।

 परीक्षा देने मात्र तिरुप्पति।

 आपको विश्वास न होगा कि केवल सौ रूपये एम.ए, परीक्षा शुल्क के साथ।

 वहाँ दस दिन दो साल ठहरने भोजन सहित 300रूपये।

 आजकल एल् के जी के लिए  25000/-कम से कम।

 बी।एड। मदुरै युनिवर्सिटी।

 एम।एड। 

 हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला।

 पर  शिमला  नहीं देखा।

 दिल्ली न देखा।

 ऐसे घाट घाट की शिक्षा अपने ही घाट में रहकर।

 स्नातक स्नातकोत्तर शिक्षा जो हिंदी क्षेत्र से।

 हिंदी माध्यम से।

हिंदी साहित्य के प्रति रुचि।

  हिंदी माध्यम में अहिंदी भाषी  परीक्षा दी। यह तो माता गोमती जी की देन,

ईश्वरीय वरदान।।

17साल की उम्र में ही हिंदी विरोध तमिलनाडु में 

हिंदी मेरी जीविकोपार्जन की साधना बनी।

 58साल  अवकाश प्राप्त होने तक मेरा क्षेत्र हायर सेकंडरी पाठ्य क्रम तक ही सीमित रहीं। अवकाश ग्रहण के बाद अनुवाद करना धन कमाने नहीं,

 समय काटने का उपयोगी तरीका।

 तमिल में दो ब्लाग और हिंदी में दो ब्लाग लिखा।

 विश्व भर के दो लाख ब्लाग रीडर्स हिंदी तमिल ब्लॉग के दर्शक बने।

 मेरे दोस्त किताब छपकर घाटे में। प्रकाशन का समारोह, पर मैं गीता के अनुसार निष्काम सेवा।

 फल भगवान पर  विश्वास।

भगवान से फल  सद्यःफल नहीं,

 हिंदी साहित्य संस्थान लखनऊ द्वारा 

 साहित्य सौहार्द सम्मान।

 और भी रुचि बढ़ने लगी।

 स्वास्थ्य बीच बीच में काम को शिथिल कर देता  था।

 सनातन धर्म और मानवता पर  एक शोध ग्रंथ  दिव्यप्रेरक कहानी द्वारा प्रकाशित किया।

 मेरे रुझान साहित्य के प्रति बढ़ती जा रही है।

 अब सनातन वेद नामक बृहद तमिल ग्रंथ का हिंदी में अनुवाद कर रहा हूँ।

 भावी पीढ़ी डिजिटल पर हैं।  उनका ध्यान जाएगा तो हिंदी तमिल साहित्य युगयुग तक अमर रहेगा।

हिंदी में लिखने की प्रेरणा --

मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय में  पढ़ते समय छात्रों को लिखने एक वार्षिक पत्रिका निकालते हैं।

 उसमें मुझे द्वितीय पुरस्कार मिला।

तभी से मन में लेखक बनने की रुचि मिली।

 3.मैं अपने लिए लिखता था। अपनी स्वतंत्र शैली से। आजतक प्रमाण पत्र ही पा रहा हूँ। 

किसीने मेरी गलतियों का। संकेत न किया।

 तमिल प्रभाव जरूर पड़ेगा ही। धारावाहिक शैली। 4.भारतीय साहित्य में विचारों की एकता साहित्य की एकता को सुदृढ़ बना रखा है।

उदाहरण के लिए 

 स्वदेशे पूज्यंते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यंते।

 यह वाक्य  तमिल में भी है।

 कबीर जुलाहा, तिरुवळ्ळुवर जुलाहा।

 दोनों भगवान को मानते हैं। निराकार का ही वर्णन है।

तमिल पंच महाकाव्य, लघु काव्य  ग्रंथ जैन और बौद्धों की देन है।

नाम देखिए मेरे लिए संस्कृत लगेगा।

 महाकाव्य --

शिलप्पाधिकार।

मणिमेखलै

कुंडलकेशी

वलैयापति

जीवक चिंता मणि 

 इन पाँच महा काव्यஅற்

 खंड काव्य

ஹஜ்

नागकुमार काव्य

यशोधरा काव्य 

नीलकेशी

चूड़ामणि।

 इन शीर्षकों से ही भारतीय साहित्यों की मूल भूत एकता का पता लगेगा।

रामायण, महाभारत, वेद उपनिषद, जातक कथाएं 

 सब तमिल में मिलते हैं।

विचारों की एकता, भावों की एकता  सब मिल रहे हैं।

 भाषा के संरक्षण 

 आधुनिक काल में  नहीं के बराबर है।

 देश भर में अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल , साहित्य सभाओं में  युवक युवतियों की कमी,

 अश्लील चित्र पट संगीत का मोह,  जीविकोपार्जन में अधिक आमदनी अंग्रेज़ी के कारण,

 होटल में भी अंग्रेज़ी मिलावट की भाषा,

टंकण में अंग्रेज़ी को ही  युवक प्राथमिकता देते हैं।

तमिल हिंदी भाषा को भी

अंग्रेज़ी लिपि में टंकण।

 उच्च शिक्षा अंग्रेज़ी में।

 शोचनीय विचारणीय : 

तमिल संस्कृत में 

 शिव भगवान प्रधान हैं।

 भारतीय संस्कृति की एकता के लिए आध्यात्मिक चिंतन ही प्रधान है।

 तमिल भगवान मुरुगन को लीजिए। वे कैलाश  से एक फल के लिए  माता पिता से नाराज़ होकर तमिलनाडु आये।

मुर्गा से मुरुगन कहने पर मुर्गा कार्तिक का झंडा है।

 स्कंद पुराण संस्कृत में हैं।

ऐसी सांस्कृतिक एकता है।

 रामेश्वर  और काशी, शंकराचार्य मठ, 

वैष्णव तीर्थ, सब भारतीय आध्यात्मिक चिंतन एकता का  अटल प्रमाण है।

 तमिल संस्कृत अलग है तो ग्रामीण मंदिरों में  मेलों में लोकगीतों में हैं।

 वे देश को पांच क्षेत्रों में 

बाँटा है।

 कुरिंजी - पहाड़ और पहाड़ों के इर्द-गिर्द स्थान 


 मुल्लै --जंगल जंगल के इर्द गिर्द स्थान 

 मरुतम् --खेत खेतों से  घिरे स्थान 

 नेयतल -- समुद्र और समुद्र के इर्द गिर्द स्थान


 पालै  --रेगिस्तान्  रेतीले प्रदेश।

 एक एक क्षेत्र के लोगों के विशेष गुण और कौशल।

 अनुवाद 

 अनुवाद मेरा शौक है।

 तन में जब तक प्राण,

 तमिल हिंदी का अनुवाद करता रहूँगा। धन के लिए नहीं तन सुख और मन सुख के लिए भारतीय भाषा प्रेमी  लक्ष्मी पुत्र  , केंद्र सरकार और राज्य सरकार को चाहिए कि अंग्रेज़ी आय के समान  अधिक धन से प्रोत्साहित करना चाहिए। विभिन्न तकनीकी परीक्षाएँ हिंदी और भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा देकर चलानी चाहिए।

  सरकार को हिंदी प्रचारकों को हिंदी सम्मेलनों में भाग लेने रेल्वे में आरक्षण की प्राथमिकता मुफ्त या शुल्क में 

 सहूलियतें देनी चाहिए।

 आजकल मुझे सम्मानित करने  अनेक साहित्य दल बुलाते हैं।  रेल का खर्च पंजीकृत शुल्क दस हजार बीस हज़ार।  उन सम्मान पत्रों से   पेट नहीं भरता।

 आदी काल से आज तक लेखक ग़रीबी में है। प्रेमचंद्र भूखे प्यासे मरे।  प्रकाशक माला माल।

 अब भी notion press में 

मेरी हिंदी तमिल सीखिए 550

प्रतियाँ बिक चुके हैं।

 एक प्रति 300रुपये।

 एक भी पैसे देने तैयार नहीं।

 हिंदी की सेवा,

 अर्थ के लिए नहीं 

 अर्थ हीन भारतीयों में 

 सार्थक राष्ट्रीयता जगाना

भारतीय भाषा प्रेमी जगाना।

 पर बुजुर्ग ही जमा होते हैं,

 युवती सही,

 युवक अति कम।

 आम धनी सुख 

 आमदनी रहित 

व्यर्थ।

 निर्धनी को पत्नी भी

नहीं चाहेगी।

मेरे हिंदी अध्यापक और मेरी संतानों की जीविकोपार्जन की भाषा 

 हिंदी नहीं,  अति संपन्न।

यह स्थिति बदलना संभव होनी चाहिए।

Monday, July 7, 2025

लक्ष्य

 जीवन का उद्देश्य 

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

+++++++

 मानव अबोध शिशु के रूप में जन्म लेता है।

बचपन में समाज को देखता है।

विविध प्रकार के 

व्यक्तित्व वाले 

लोकप्रिय लोगों को देखता है।

मानव मानव में उद्देश्य बदलता है।

यह उद्देश्य भगवान की देन है, 

उद्देश्य तक पहुंचने की क्षमता और सफलता 

 भगवान की देन हैं।

 पता नहीं हर मानव के

उद्देश्यों में अंतर क्यों?

 एक नेता बनना चाहता है,

कोई पुलिस बनना चाहता है,

 कोई वीर सैनिक बनना चाहता है।

 कोई डॉक्टर तो कोई इंजनीयर।

 अंग प्रत्यंग उपांग कैसे होते

मानव बुद्धि के पार।

 मंजिल तक पहुंचने का निष्ठा, कौशल , सफलता ईश्वर की देन।।

  निरुद्देश्य भिखारी 

 पेट भरने गाता है,

 मधुर स्वर उसका भाग्य चमकता है।

 अभिनेता को अभिनय की क्षमता,

  भगवान की देन।

दिल में उद्देश्य कैसे आया पता नहीं।

किसी का उद्देश्य कवि बनने का,पर स्वर में माधुर्य नहीं,

 उद्देश्य तक पहुंचने की क्षमता जन्मजात होती हैं।

मेरा उद्देश्य कुछ नहीं,

 हिंदी विरोध वातावरण में 

 हिंदी की नौकरी मिली।

 मेरा उद्देश्य भगवान की देन।

 मेरी क्षमता और भाग्य 

 हिंदी से अपने दायरे में चमकी।

 गणितज्ञ रामानुजन 

  अपने उद्देश्य पर लगा।

 पर लेखापाल की नौकरी।

 पर अपने उद्देश्य पर डटा रहा।

 अचानक अंग्रेज़ी गणितज्ञ की नज़र  रामानुजन के

 गणित नोट बुक पर पड़ गई। 

रामानुजन गणितज्ञ बने।

 निरुद्देश्य  घूमने वाले को

 अपना एक उद्देश्य बनता है।

हर मानव के मन में 

 उद्देश्य अलग अलग-अलग।

प्रयत्न में सफलता ईश्वर की देन।

मानव जीवन में अनुकूल हवा ,

 ईश्वर की देन।

 तब उद्देश्य जगता है,

 प्रेरणा मिलती है,

 उद्देश्य की कामयाबी लगन में।

लग्न जन्मजात गुण।

Monday, June 30, 2025

हिंदी तमिल जानो

 


जय श्री राम।

வணக்கம்.वणक्कम् நமஸ்தே नमस्ते।

ஹிந்தி தமிழ் அறிவோம்.

हिंदी तमिल जानेंगे।

சே.அனந்தகிருஷ்ணன்.

 से.अनंतकृष्णन




இறைவனை நினைப்போம்

ईश्वर का स्मरण करेंगे। हिंदी 

इरेवनै निनैप्पोम्। तमिऴ् 


இறைவனையே சரணடைவோம்.

ईश्वर  की शरणागति  हम।

इरैवनैये शरणडैवोम!


  நமது தேவை அவனறிவான்.

 हमारी माँग जानता है लह‌

नमतु तेवै अवनऱिवान।


 நம்மை அவன் படைத்ததற்கு

 ஒரு நோக்கம் இருக்கும்.

हमारी सृष्टि का एक उद्देश्य होंगे।

नम्मै अवन् पडैत्ततऱकु ऒरु नोक्कम इरुक्कुम्।



 அதற்கான 

ஆற்றலைத் தருவான்.


उसकी ऊर्जा वह देगा।

अतऱकान आट्रलै अवन तरुवान।।


 எனக்களித்த ஆற்றல் ஹிந்தி.

 मुझे दिया है हिंदी की उर्जा।

ऍनक्कळित्त आट्रल् हिंदी।

 சிலருக்கு வணிக ஆற்றல்.

क्यों को  व्यापारिक ऊर्जा।

सिलरुक्कु वणिक आट्रल्।

 சிலருக்கு பரம்பரை அதிகாரம்.

कुछों को परंपरागत अधिकार।

सिलरुक्कु परंपरै अधिकारम्।


 சொத்துக்கள்.

संपत्तियाँ।

सोत्तुक्कळ्।

 சிலருக்கு ஆரோக்கிய உடல்.

कुछों को स्वस्थ शरीर।

सिलरुक्कु आरोग्य उडल्।

 அறிவியல் ஞானம்.

वैज्ञानिक ज्ञान।


கிணறு தோண்ட 


किणरु तोंड,

குளி வெட்ட ,

गड्ढा खोदने

कुळि वेट्ट


குப்பை அள்ள 

कूड़ा उठाने 

कुप्पै अळ्ळ

 அவைகளில்

उनमें 

अवैकळिल्

 ஈடுபடும் 

लगने

ईडुपडुम्

ஆர்வம் 

जिज्ञासा 

आर्वम्

சக்தி .

शक्ति।

शक्ति।

அறிவு  ज्ञान 


ஆண்டவன்  भगवान 

அளிப்பதே.की देन।

आंडवन अळिप्पते।

 அவனை வழிபடுவோம்.

उसकी प्रार्थना करेंगे।

 நமது எண்ணங்கள்

 நிறைவேறும்.


हमारे विचार पूर्ण होंगे।

नमतु ऍण्णंकळ् निऱैवेऱुम्।



 ஓம்கணேசாய நமஹ.

ओं गणेशाय नमः 

ஓம் கார்த்திகேயாய நமஹ.

ओं कार्तिकेय आय नमः 

ஓம் நமசிவாய. 

ஓம் नमः शिवाय 


 துர்காயை நமஹ.

दुर्गा मैं नमः।


ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் 

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 


आनंद

 आनंद के क्षण

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

-------

दर्द,रुदन, चीख, चिल्लाहट

 बाद में आनंद के क्षण।

 हाँ, माँ की प्रसव वेदना,

 शिशु बाहर आते 

 असह्य दर्द चीख।

शिशु का रुदन ।

 रुदन सुनकर 

 माँ के चेहरे में मुस्कुराहट।

दादा दादी नाना नानी 

 सब के लिए 

 आनंद के क्षण।

 मानव जीवन का शुभारंभ ही ऐसा।

 पल पल में सुख।

 पल-पल में दुख।

  मानव जीवन में।

 परीक्षा में उत्तीर्ण 

 अच्छे अंक आनंद के क्षण।

 परीक्षा में उत्तीर्ण ,

 कम अंक

 आनंद और दुख मिला क्षण।

 शासक दल में चुनाव 

जीतना अति आनंद क्षण।

 चुनाव जीतकर 

पद न मिलना आनंद और

 दुख के क्षण।

  मानव जीवन में 

 आनंद के क्षण

 प्रयत्न,परिश्रम के कारण।।

 नौकरी मिली, आनंद के क्षण।

 विदेश में नौकरी आनंद।

 माता-पिता ,भाई बहन को

 पत्नी बच्चे को बिछोह के क्षण।

 यही मानव जीवन के

 विरह मिलन के आनंद क्षण।

 पूर्णानंद कैसे?कब?

अतः आनंद के क्षण ही अधिक।

Sunday, June 29, 2025

प्रकृति का प्रकोप।

 प्रकृति का प्रकोप।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

30-6-25.

प्रकृति पंच तत्वों  से बनी है,

 एक तत्व न तो जीना दुश्वार।

प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना 

मानव मानव का कर्तव्य।

हवा है उससे 

 फैलते हैं

 संक्रामक रोग।

 पानी से फैलती बीमारियाँ।

भूमि भी  अपनी 

संतुलन खो बैठती।

आकाश भी 

कलंकित हो जाता।

गरमी बढ़ती ,

 पंच तत्वों को

 साफ़ साफ़ रखना 

न तो

प्राकृतिक प्रकोप

 बढ़ जाता।

जंगलों को काटने से

 भूमि स्खलन,

 वायु की स्थिति बदलना,

 भूकंप, 

 कारखानों के धुएँ से

वायु प्रदूषण,

 कारखानों के रसायनिक अवशेषों से  भूतल के पानी प्रदूषण 

 आवागमन  साधनों से

 ध्वनी प्रदूषण,

धुएँ से वायु प्रदूषण।

प्रकृति प्रकोप से

अतिवृष्टि अनावृष्टि।

भूकंप, सुनामी,

 समुद्र प्रकोप,दावानल,

ज्वालामुखी पहाड़ जलन।


 इन प्राकृतिक

 प्रकोपों से बढ़कर 

अति भयंकर 

विचारों का प्रदूषण।।

अश्लील नाच गाना 

 गोद संगणिक खेल।

इन सब से न बचें तो

प्राकृतिक प्रकोप।

 बचने जंगलों को 

नगर विकास के नाम से

 नष्ट न करवाना।

झीलों को नदारद करना।

भारतीय ऋषि मुनि 

वन महोत्सव मनाते थे,

हवन यज्ञ करते थे।

अब जंगल नगर

 बन रहा है।

अब वृक्ष लगाना है,

पानी में नदियों में 

 विषैले वायु को 

साफ़ करना

रसायनिक खादों के बदले

 प्राकृतिक खादों का प्रयोग करना,

रसायनिक विषैले पानी अवशेषों को साफ करना,

नदियों में मिश्रित होने से रोकना।

 कूड़ों को कूड़ेदानों में डालना,

 खुद बचना और संसार को बचाना

ज्ञान चक्षु प्राप्त मानव का

 कर्तव्य है जान।।

Saturday, June 28, 2025

समय

 समय की धारा 

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

29-6-25.

…......

समय की धारा 

 रुकती नहीं,

 पानी की धारा 

 चट्टानों से टकराती है,पर

 समय की धारा चलती रहती है।

विचारों की धारा तो

 सुंदरता देख 

 किसी की परवाह नहीं करती।

 तेज हवा भी  ऊँची पहाड़ी में ज़रा कम होती,

पर समय की धारा 

 अबाध गती से

 पल पल चलती रहती।

समय की धारा रोककर 

कोई काम नहीं कर सकता।

पानी की धारा बाँध से रुकती।

 समय की धारा  का  बाँध बनाना असंभव।

बचपन चला, लड़कपन चला, जवानी चली।

 बुढापा आया।

पैसे हैं इलाज से तपस्या से

मेरा बचपन न वापस।

 जवानी न वापस 

 समय की धारा 

 किसी की न सुनती।

पैसे का बरबाद फिर कमाया।

 समय का बरबाद बरबाद ही।

 समय की धारा रोकी नहीं जाती।

समय के बरबाद से

पछताना ही बचता।