समय की धारा
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु
29-6-25.
…......
समय की धारा
रुकती नहीं,
पानी की धारा
चट्टानों से टकराती है,पर
समय की धारा चलती रहती है।
विचारों की धारा तो
सुंदरता देख
किसी की परवाह नहीं करती।
तेज हवा भी ऊँची पहाड़ी में ज़रा कम होती,
पर समय की धारा
अबाध गती से
पल पल चलती रहती।
समय की धारा रोककर
कोई काम नहीं कर सकता।
पानी की धारा बाँध से रुकती।
समय की धारा का बाँध बनाना असंभव।
बचपन चला, लड़कपन चला, जवानी चली।
बुढापा आया।
पैसे हैं इलाज से तपस्या से
मेरा बचपन न वापस।
जवानी न वापस
समय की धारा
किसी की न सुनती।
पैसे का बरबाद फिर कमाया।
समय का बरबाद बरबाद ही।
समय की धारा रोकी नहीं जाती।
समय के बरबाद से
पछताना ही बचता।
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