Friday, June 27, 2025

सत्य

 सत्य की पुकार।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 28-6-25.

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सत्य की पुकार सुनी,

 पीछा किया 

‌आज भी केवल 

उनका नाम सत्यवादी के रूप में लिया जाता है।

 हरिश्चन्द्र  की कहानी 

 पता नहीं सत्य के पालने के लिए  या

 सत्य से मुख मोड़ने के लिए।

 शब्द में जादू करके

 कृष्ण ने द्रोणाचार्य को 

 निहत्था बना दिया।

 धर्म क्षेत्रे, गुरु क्षेत्रे 

 कहते हैं 

 युद्ध  में अधर्म चला।

 जीतकर भी पांडव दुखी।

आजकल के चित्र पटों में 

 सत्यप्रिय अधिकारी सपरिवार मारे जाते हैं।

सत्यवानों को 

डराने के लिए।

 युवकों को डराने के लिए 

चित्रपट में इंस्पेक्टर अमीरों से लाखों लेकर

 निरपराधी को मारते हैं।।

मंत्री भी खलनायक को

 बचाने में ‌

सत्यमेव जयते सही।

सत्य की पुकार कौन सुनेगा।

सचमुच मैं सत्यवादी हूं।

अकेला हूँ।

सत्य की पुकार सुनकर 

 कोई चुनाव नहीं लडता।

वोट के लिए नोट।

 काले धन का भरमार खर्च।

 चुनाव आयोग मौन?

 सत्य की पुकार कौन सुनता।

 पर सत्य की पुकार का अपना महत्व है।

सत्य का हार असहनीय है।

सबके दिलों में चुभता है।

अतः सब सत्य की पुकार मानकर  सत्यमेव जयते 

का नारा लगाते हैं।

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