Thursday, June 26, 2025

सुख की खोज

 खुशियों की तलाश।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

27-6-25.

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शिशु का जन्म,

रोते हुए होता है,

 रोना भी पेट भरकर

भूख शांत करके 

  हँसने के लिए।

आदमी आनंद मनाने के लिए  धन की तलाश में।

अमीर पति और सुंदर पत्नी की तलाश में।

 मानव शरीर और

 जीने का संसार नश्वर।

 मानव सद्यःफल की खुशी के लिए,

लौकिक सुखों के 

 पीछे पड़कर दुख 

झेलता रहता है।

 दुख अधिक होने पर

खुशियों की तलाश में 

ज्योतिष की तलाश में,

तीर्थ यात्रा में,

ध्यान में 

आध्यात्मिक मार्ग पर

 खुशियों की तलाश में।

 ऐसे लोगों का स्वास्थ्य 

 अच्छा लगता है।

 कुछ लोग लौकिक वासनाओं के पीछे 

 पड़कर दुख को सुख मानकर   मधुशाला 

 माधुशाला में  ,

 माधुशाला के सुख को  

असली सुख मानकर

 खुशी खोज लेते हैं।

धूम्रपान में, नशीली  तंबाकू  में 

खुशियाँ खोज लेते हैं,

वही    दुख के रोग के कारण न समझते।

  चित्रपट के निर्माता निर्देशक 

 धन के लोभ में 

 युवकों के संयम बिगाड़कर 

 खुशी खोज लेते हैं।

भ्रष्टाचारी 

 राजनैतिक लोग,

 ठेकेदार  मनमाना लूटकर 

 खुशी की तलाश

    करते हैं।

 जो हो धनी हो या गरीब 





   



  

 

 

 



 

 





 


 




खुशियों की तलाश में।

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई 

27-6-25.

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मानव जीवन सुख दुख की आँख मिचौनी 

 खेल समान।

 मानव खुशी की खोज में 

 दो मार्गों में चलते हैं,

 एक लौकिक दूसरा अलौकिक।।

 लौकिक माया मार्ग के

 अस्थाई सुख को

 स्थाई मानकर

 वासनाओं में फँसकर तड़पता रहता है।

 मधुशाला और माधुशाला का दास बन जाता है।

 नशीली चीजोंके सेवन कर सुध-बुध खो बैठता है,

 दुख को सुख 

मानकर जीता है।

 दुख में खुशी खोज

 लेता है।

 अलौकिक मार्ग पर

 आत्मसंतोष आत्मानंद  के चाहक 

ज्योतिष के चरण लेते हैं,

 प्रायश्चित करते हैं,

फिर भी दुखी रहते हैं।

 कुछ लोग आचार्य के आश्रम में चरण लेते हैं।

 कुछ लोग तीर्थयात्रा 

 करते हैं,

 मंदिर मंदिर में 

 खुशी की खोज में 

  फिरते हैं।

  कुछ लोग ध्यान तपस्या में लग जाते हैं।

आदमी अपनी अपनी खुशियाँ खोज ही लेता है।

 लौकिक हो या लौकिक 

 अंत में कफ़न ही बचता है।







  



 






 




 

 










 






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