Saturday, June 14, 2025

तमिल भाषा नीति

 बुढापा।

 ईश्वर ने दी।

 शारीरिक शिथिलता 

 मन में भूत वर्तमान भविष्य की तरंगें।

हिंदी विरोध वातावरण में 

 हिंदी का जीवन।

 सोचता हूँ, 

तमिलनाडु राजनीति में 

 हिंदी विरोध 1937से।

 यह राजनीति तमिल के नाम पर कितनों की जानें ली।

तनित तमिऴ् अलग तमिल 

 संस्कृत‌ रहित।

 वह असफल।

चिन्ह बना उदय सूर्य।

विपरीत शब्द तमिऴ् में 

 उसकी मूल भाषा पता नहीं,

 हिंदी में भी।

 मुख  मुखम् कहते हैं

 मुख के लिए तमिल शब्द नहीं।

 षण्मुख को आरुमुकम् कहते हैं।

वाद विवाद तर्क

 भारत भर में आम शब्द।

अलग तमिऴ् आंदोलन 

अब why this कोलैवॆऱि में।

फल  तमिल में पऴम्।

जितना सोचता हूँ,

 बगैर संस्कृत के

 तमिल का निर्वाह नहीं।

 निपुणता नहीं।

 श्रीरंगम् तिरुअरंगम्

रंग अरंग  तमिल कैसै?

 यह राजनीति द्रमुक दिलवाले सोचते क्यों नहीं।

तेलुगू कन्नड़ मलयालम् में 

 संस्कृत का प्रभाव।

 तेलंगाना तेलुगू में 

 दक्खिनी हिन्दी का प्रभाव।

 क्यों तमिल राजनीति 

 जानकर भी विपरीत विचार में।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

 



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