Search This Blog

Tuesday, June 17, 2025

आत्मा परमात्मा

 आत्मविश्वास 

18-6-25.


एस . अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।


विधा --अपनी हिंदी 

          अपने विचार। अपनी पूर्ण स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति 

-----------------------

 नश्वर शरीर में 

 अनश्वर आत्मा।

परमात्मा का वास।

 भगवान  का अंश

 माया  शक्ति और मन

 दिव्य शक्ति पर 

डालता पर्दा।

मन माया के चक्कर में 

 विषय वासना में फँस जाता।

परिणाम दुख ही दुख झेलता।

 बाद में आत्मा परमात्मा का स्मरण आता।

 तभी आत्मज्ञान

 पुण्य पूर्व जन्म के कारण जागता।

  मोहनदास करमचंद गांधी लिखते हैं,

 मेरे बुरे व्यसनों से 

 मुक्ति ईश्वर से मिली।

 तब मन आत्मा में विलीन होता।

 आत्मा सत्य असत्य ,

 पाप पुण्य के भेद जानती।

 आत्मा, अपने बल को पहचान जाता।

अपने बोध ही ईश्वरीय अखंड बोध।

 आत्मज्ञान से आत्मविश्वास बढ़ जाता।

 नर नहीं, परमात्मा शक्ति तुझ में,

 दधिची का स्मरण दिलाता।

 निराशा आशा में बदलता।

 विचार तरंगें तम जाता।

 परिणाम आत्म विश्वास,

 दृढ़ निश्चय असंभव को संभव बना लेता।

 अपने को पहचानना ही

 आत्मविश्वास का पहला सोपान।

 वह भी ईश्वरीय देन।

 आत्मविश्वास मनुष्य को

 आत्मोन्नति के शिखर पर ले जाता।

  एस.अनंतकृष्णन।

18-6-25.



 




No comments:

Post a Comment