Sunday, March 27, 2016
आलसी --सुस्ती ---अर्थ -भाग --तिरुक्कुरल --६०१ से ६१०
Friday, March 25, 2016
साहसी /बल ---अर्थ भाग -५९१ से ६०० तिरुक्कुरल
Wednesday, March 23, 2016
मगर मचछ आँसू
मित्रता मान ली। धन्यवाद।
भारत अखंड।
भारत खंडीत।
जुुडा भारत आध्यात्मिकता से।
दिल तोडा भारत आध्यातमिक्ता से।
राम के काल में ,कृष्ण के काल में
भक्ति की एकता बनी बिगडी।
कबीर नै तो समझाया।
पर उनके जन्म और पालन भिन्न।
कहा वेद पढते हैं कुरान पढते हैं पर
न पहचाना खुदा कहाँ है ?
अलौकिक प्रेम का ग्रंथ ।
लौकिकता का मोह
धार्मिक भैद।मनुष्य मनुष्य में भेद।
तपस्या का सत्य कहाँ।
चुनाव आया तो न किसी का ध्यान
मनुष्य एकता का।
स्वार्थ कुर्सी के मोह| में
हिंदु मत पर न ध्यान ।
आरक्षण नीति।
आजाद के सत्तर साल
धरम निरपेक्ष ता की बात।
हिन्दु बहुसंख्यक पर
गाँधी बने खान अ्ति चतुर ।
सूचित अनुसूचित जातियों क़ो
सहूलियत सुविधाएँ।
साल पर साल पिछडे दलित
वर्गो की सूची बढाते ।
अब जाट ,राजपूत बिना सोचे विचारै
बेशरम सूचित जातियों में नाम जोडने
सत्तर साल की तरक्की जाति के नाम लडाइयाँ।
खून खौलता है।पर अधिकार हिन्दु के खाल पहने
खान दिलियों के हाथ।
खेद आजादी के सत्तर साल के बाद
कौशल के आधार पर नहीं।
जाति के आधार पर पदोननति।
पिछडे वर्ग आदि वासी वरग अपमानित
सरकारी सुविधा के नाम से कलंकित
फिर भी छंद सुविधा के कारण
न उच्च कहते निम्न कहने कहलाने लडतै।
सर ऊँचा उठने में स्वार्थ राजनीति
उन्हें सोचने न दिया।
सत्तर साल ,पर माँगे
पिछडे वर्ग की सूची में जुडने की।
सोचिए आजादी के सत्तर साल
कैसे छल राजनैतिक दलों की चाल।
कह दिया जागें तो जागना।
आरक्षण तो भक्षण ।
हिन्दु एकता तोडने का
मगर मच्छ आँसू।
Tuesday, March 22, 2016
जासूसी /चर --अर्थ भाग -तिरिक्कुरल --५७१ से ५८०
१, एक शासक की दो आँखें हैं १, ईमानदारी और चतुर - चर /जासूस २.नैतिक धर्म -ग्रन्थ।
२,एक शासक को जासूसी /चरों के द्वारा जान लेना चाहिए कि दोस्त कौन हैं ?
दुश्मन कौन है और तटस्थ
कौन है ? उन तीनों के दैनिक कार्यों को भी जान लेना चाहिए.
३.चरों के द्वारा देश-विदेश की घटनाओं को जन-समझकर परिणामों पर भी ध्यान रखना चाहिए.
ऐसा न करें तो वह स्थायी शासन नहीं कर सकता.
४. ईमानदार चर वे हैं जो तटस्थ रहता हैं और भेद नहीं करता
कि वह दोस्त है / दुश्मन है /रिश्तेदार है /अपना है या पराया है.
५. वही चर का काम कर सकता हैं जो देखने पर संदिग्ध नहीं दीखता और पता लगने पर भी रहस्यों को
प्रकट नहीं करता ; जो भी हो रहस्यों का भंडा नहीं फोड़ता.
६. साधू -संत के वेश में जाकर भेदों को जानने में क्षमता रखनेवाला ही सफल जासूस है /चर है;
सभी प्रकार के कष्टों को सहकर भी दृढ़ रहनेवाला ही निपुण चर है.
७. चर वही है जोगोपनीय बातों को जानने में कुशल हो और जिसने रहस्य्मयी कार्य किया है ,उसके मुख से
ही जानने की क्षमता रखता हो और जो कुछ जनता हैं ,उसमे जरा भी सक न हो.
८। एक चर जो कुछ जानकर आया है ,उसी बात को दुसरे चर द्वारा पता लगाकर तुलना करना चाहिए।
तुलना करके सही हो तो तभी निर्णय पर आना चाहिए.
९. चरों को भेजते समय चरों को अपरिचित रखना चाहिए. तीन चर एक ही रहस्य का पता लगाकर आने के बाद भी सच्चाई पर शोध करना चाहिए.
१०. एक चर की प्रशंसा खुले स्थान पर करना उचित नहीं है; उसको पुरस्कार भी गोपनीय रखना चाहिए, ऐसा चर का कार्य खुल जाएँ तो सही नहीं है. रहस्य भी प्रकट होगा; चर का परिचय भी हो जायेगा.
अनुग्रह/ दया अर्थ भाग --तिरुक्कुरल --५७१ से ५८०
Sunday, March 20, 2016
अर्थ भाग --आतंकित न करना. .--५६१ से ५७० . तिरुक्कुरल
के शासक की बड़ी संपत्ति
जल्दी ही मिट जायेगी.
,ऐसा न करके गुस्सैल राजा अपने मार्ग पर चलेगा
तो दिन- दिन उसकी संपत्ति कम होती जायेगी
.
,वह युद्ध के आते ही जल्दी हार जाएगा.
Saturday, March 19, 2016
अर्थ भाग-अत्याचारी शासन ५५१ से ५६० तक तिरुक्कुरळ
तिरुक्कुरळ ५५१. से ५६०
अत्याचारी शासन
१. अत्याचार करके लोगों को सताना हत्या के पेशे से अति क्रूर है!
. अत्याचार करके लोगों को सताना हत्या के पेशे से अति क्रूर है!
८. गलत शासकों के शासन में गरीबों के जीवन से अमीरों का जीवन कष्टमय रहेगा.
९ . कुशासन में पानी का स्रोत उजड जाएँगे , तब वर्षा का पानी बचाना मुश्किल हो जाएगा
अतः समृद्धी न. होगी.
१०. एक कुशासक के कारण देश में गाय का दूध कम हो जाएगा. ब्राह्मण भी वेद मंत्र भूल जाएँगे.