Sunday, March 27, 2016

आलसी --सुस्ती ---अर्थ -भाग --तिरुक्कुरल --६०१ से ६१०

आलसी  --सुस्ती ---अर्थ -भाग  --तिरुक्कुरल  --६०१  से ६१० 

१.  कुल  की श्रेष्ठता  और  विशेषता  
 आलसी के  कारण बरबाद  हो  जायेगी . 

२.कुल श्रेष्ठ  होना  है  तो आलसी छोड़कर 
 अति प्रयत्नशील  और परिश्रमशील  बनना  है.
३. जिसके मन  में आलसी का वास है ,
उसका कुल उसके पहले ही नाश  हो जाएगा.
४. आलसी  के  जीवन  में अपराध  बढ़ जायेंगे ; 
उसके पारिवारिक जीवन  नाश  हो  जाएगा. 
५.  देरी ,   भूल ,आलसी    और  अति निद्रा आदि
 चारों गुण  डूबनेवाली नाव    के समान  है.
६.राजा की दोस्ती और उनकी संपत्ति मिलने पर  भी 
आलासियों  को  कोई  लाभ नहीं  होगा.
७.बगैर  प्रयत्न  के आलसी अपमान  का पात्र बनेगा.
८.श्रेष्ठ  कुल में जन्मे  लोग  आलसी  बनेंगे 
,तो  जल्दी ही दुश्मनों  के गुलाम  हो  जाएगा.
९.आलसी अपना आलस  छोड़  देगा  तो
 उसके खोये गौरव  और पौरुष अपने आप वापस  आ  जाएगा .
१०.  जो  राजा आलसी रहित  है,उसके  अधीन सारी धरती आ  जायेगी .



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