Thursday, March 17, 2016

तिरुक्कुरळ अर्थ भाग भूल --५३१ -५४०

भूल--तिरुक्कुरळ  ५३० --५४०

१.अति आनंद  से होने वाली भूल असीमित क्रोध से बढकर हानीप्रद  होगा!

२.दरिद्रता  से बुद्धि भ्रष्ट  होगा! वैसे ही भूल के  कारण अपयश होगा!

३. विद्वानों  का मतलब. है कि भुलक्कडों का यश स्थाई. नहीं  है! 

४. डरपोकों  को सुरक्षित दुर्ग  भी  सुरक्षित नहीं  है; 
वैसे  ही भुलक्कडों  को अति उच्च पद. से भी फायदा नहीं है!

५. बिना सोचे -विचारे  बाधाओं  को भूलकर  काम करनेवालों को अपने भूल के  कारण पछताना पडेगा !

६. 
 बिना  विस्मरण  के धयान और मन  लगाकर. काम. करें तो कोई भी  काम दुर्लभ नहीं है!

७.  बडों  से  प्रशंसनीय कामों को चाव. से करना चाहिए!  वैसा  न. करके  भूल. जाएँगे  तो सातों  जन्म में भला न होगा!

८.  यश प्रद कर्तव्यों  को मन लगाकर करना  चाहिए!  न करनेवाले  जिंदगी  में आगे न बढ. सकते!

९  अहंकार  से खुश  होकर अपने  कर्तव्य करने  में चूकनेवालों का पतन निश्चित. है!  उन्हें  देखकर हमें सुधरना  चाहिए .


१०   अपने लक्ष्य पर लगातार प्रयत्नशील मनुष्य   जरूर मंजिल पर पहुँच जाएगा. उसे अपने लक्ष्य को भूलना न चाहिए!

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