Tuesday, March 1, 2016

திருக்குறள் ---तिरुक्कुरल --५०१से ५१० . समझकर समझदारी स्पष्टीकरण

திருக்குறள் ---तिरुक्कुरल --५०१से  ५१० . समझकर  समझदारी  स्पष्टीकरण

१.  एक  पदाधिकारी  की  नियुक्ति   तभी  करनी है,  जब   वे  निम्न  चार  बातों  में  दृढ़ हो;  ----
       अ )धर्म -कर्म में दृढ़ हो।  आ.)सुन्दर स्त्रीयों  के संपर्क में संयम इ)अर्थ संपत्ति देकर उ )प्राण को खतरे  में डालकर.   इन सब में योग्य हो तो वही नेता बन सकता  है.

२. अच्छे कुल में  जन्म लेकर  ,निर्दोषी    और  अपयश के बुरे  काम  करने से शर्मिंदा आदमी  पर ही विश्वास रखना चाहिए.

३. अपूर्व ग्रंथों  को पढ़कर जो ज्ञानी   रहता हैं ,उनमें  अज्ञानता देखना दुर्लभ है.

४.किसी एक व्यक्ति को बुरा  या  अच्छा  कहने  के पहले   समझ लेना  चाहिए  कि  उसमें  बुरे गुण ज्यादा है या  सद्गुण .   बुरे  गुण  ज्यादा है तो बुरा ; अच्छे गुण  ज्यादा हो तो  अच्छा.
५. एक व्यक्ति   अच्छा  है   या  बुरा  इसपर  निर्णय करने का कसौटी  है , उसके कर्म /दैनिक आचरण.

६.जिनको नाते -रिश्ते का  सम्बन्ध नहीं ,उनपर भरोसा रखना उचित  नहीं  है. क्योंके वे अपयश  या निदनीय कर्म करने  न संकोच  न  करेंगे .
७. बुद्धि  जिसमें  नहीं हैं ,उनको   प्रेम के वशीभूत चुनने  पर ,उच्च पदवी  पर बिठाने पर
 उसका बुरा प्रभाव पडेगा.

८. एक व्यक्ति के गुण और कार्यों को छान बीन करके  अपना बनायेंगे तो खुद को ही नहीं पूरे खानदान को कष्ट  होगा.
९. किसी को  देखते ही उसपर  विशवास  न  करना  चाहिए; खूब सोचकर जान -समझकर ही विश्वास रखना चाहिए .
१० .बिना सोचे-विचारे  -समझे  किसीको चुनना और चुनने के बाद उनपर  शक करना असाध्य दुःख देगा.

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