Saturday, March 12, 2016

सोच- विचारकर काम करना --५११ से ५२० तक --अर्थ भाग --तिरुक्कुरल

सोच-  विचारकर  काम करना --५११ से ५२० तक --अर्थ भाग  --तिरुक्कुरल 

१.  वही  कर्मवीर है ,जो भले -बुरे के विचार करके लाभ प्रद कार्य करते हैं .

२. वही कर्म वीर है ,जो आय के स्रोतों को सोच लेता है और आनेवाली बाधाओं को हटाने में सफल हो  जाता है. 
आय  और लाभ ही जिसका उद्देश्य हो .कर्म वीर को ऐसा काम चुनना है .
३. वही कर्मवीर बन सकता  है  जिसमें प्यार,ज्ञान ,निस्संदेह कार्य चुनने  की क्षमता  हो और   अधिक चाह न हो.
४. भली-भाँती सोच-समझकर कार्य  चुनने के बाद क्रियान्वित करने में बदलनेवाले लोग भी है.
५.  जिसमें कार्य करने की क्षमता हो , 
बाधाओं को मिटाकर कर्म पूरा कर सकता हो 
उसी को ही कार्य करने  में लगाना चाहिए . 
अपने वंशज या अपनी जाति के क्षमता हीन
 लोगों के हाथ सौंपना हानीहारक है.
६,  कर्ता का कौशल देखकर  ,समय को जानकर काम करने को सौंपना चाहिए.
७. किसी व्यक्ति को काम सौंपने के पहले सोचना है कि  उसमें वह कार्य करने की क्षमता है या नहीं.  सोच समझकर ही काम देना चाहिए.
८. योग्यता जानकार उसके अनुकूल काम ही  करने को देना चाहिए.

९.  एक कार्य करने में जिसमें क्षमता है  और प्रयत्न शील है ,उनको गलत समझकर नाता तोडनेवाला कभी नेता नहीं  बन सकता.
१०. जब तक मेहनत करनेवाले 
मजदूर सकुशल रहेंगे तब तक देश समृद्ध रहेगा.  अतः सफल सरकार को अपने कर्मचारियों को संतुष्ट रखना चाहिए. 

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