साहसी ---अर्थ भाग -५९१ से ६०० तिरुक्कुरल
१. जिसमें बल और साहस है, वही सर्व सम्प्पन्न व्यक्ति है ; साहस नहीं हैं तो एनी संपत्ति हिने पर भी वह सम्पत्तिहीन ही माना जाएगा .
२. साहस ही स्थायी संपत्ति है ; बाकी संपत्ति अस्थायी ही है.
३. साहसी और पुरुषार्थ लोग संपत्ति के खोने पर भी दृढ़ रहेंगे .वे साहस खोकर दुखी नहीं होंगे .
४. पदोन्नती और प्रगति साहसी लोगों की खोज में आयेगी.
५.कमल के नाल की लम्बाई पानी की गहराई तक ही होगी ;
वैसे ही एक मनुष्य में जितना साहस और पुरुषार्थ है ,उतनी तरक्की जीवन पर होगी .
६. जो कुछ सोचते हैं ,ऊँचा सोचना चाहिए. उसमें असफल होने पर भी साहसी सोचना न छोड़ेगा.
७. हाथी अपने शारीर भर बाण घुसने पर भी दृढ़ रहेगा. वैसे ही साहसी दुखों के घेरे में भी साहस न छोड़ेंगे.
८. जिसमें साहस नहीं हैं ,वे दूसरों को दान देकर दानी नाम पाने में असमर्थ ही रहेंगे.
९, हाथी का शरीर मोटा ताज़ा है; फिर भी उससे बलवान बाघ को देखकर भयभीत हो जाएगा.
१०. एक मनुष्य का बल साहस ही है; जिसमें साहस नहीं है ,
वे आकार से मनुष्य है पर चलते -फिरते पेड़ के समान है.
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