Thursday, February 22, 2018

पता नहीं जग में.

जिन्दगी में मान -अपमान क्यों ?
किसी से प्रेम , 
किसी से घृणा ,
किसी से त्याग ,
किसी से मोह ,
किसी से जलन ,
किसी से क्रोध
किसी से बदला
मान -अपमान की लापरवाही करके
जीना दिव्य जीवन.
ईश्वरीय अवतार में भी
अधर्म के बिना विजय नहीं.
मान-अपमान ,बदला ,क्रोध
के बगैर महाकाव्य नहीं.
स्वार्थ -निस्वार्थ के जंग में
स्वार्थ के षड़यंत्र अति सबल.
निस्वार्थ त्याग जीवन में सुख कैसे?
जग जीवन में ईश्वर की लीला
दुखमय या सुखमय ?
पता नहीं जग में.

अपनी प्रतिभा खो बैठे

देशद्रोही की बात भारतीय 
इतिहास में 
ऐतिहासिक कहानियों में 
नाटक में 
सिकंदर के आक्रमण काल से 
आज तक
भरी पडी है .
पैसे पद ख़िताब ,
ब्राह्मण सब आचार भूल बैठे ,
संस्कृत भूल बैठे
संस्कृति भूल बैठे.
नियम ,पोशाक ,खान -पान ,बदल चुके
चोटी खो बैठे .
न सिख बदला, न मुग़ल बदला , न ईसाई बदले.
हिन्दू अर्थात सनातनी
अपने आचार छोड़ बैठे.
अपनी प्रतिभा खो बैठे.

जय जवान जय किसान

जय जवान ,जय किसान
लाल देकर चले गए
बहादुर माई का लाल.
अब नदियाँ ,जीव नदियाँ
पानी के अभाव से मर रही हैं 
हरे भरे खेत सूख रहे हैं.
कारखाने की धुएँ
प्रदूषण फैला रहे हैं .
भूतल पानी भूत बन डरा रहा है.
नदियों की सुरक्षा ,
राष्ट्रीयकरण न हो तो
खेत सूख जायेंगे .
अनाज न उगेंगे .
प्यासे को पानी न मिलेगा.
सांसद -विधायकों !
मंत्रियों ! राजनैतिक दलों!
आप चले जाएंगे सदा के लिए .
देश रहेगा भूखा -प्यासा भावी पीढ़ी
तडप्पेंगी ,
जरा सोचो , देश के लिए काम करो.
मतदाता !चुनाव के समय के इनाम-पैसे के लिए
देश बिगाडनेवाले भ्रष्टाचारियों को
न दो वोट, वे हैं मतलबी.
आगे आप की मर्जी ,
देश ही प्रधान ,याद रखना .
नारा लगाओ -जोर से जय जवान , जय किसान.
नारा लगाओ - जय किसान जय जवान.
देश की सुरक्षा में रोज़ दो वीर प्राण समर्पण कर रहे हैं ,
दो आतंकी मरते हैं तो दो जवान.
ऐसी दशा बदलो, जवान न मरें, शत्रु
को ही मारें.
बोलो जय जवान , न तो देश की सुरक्षा कैसे?
— thinking about the meaning of life.

प्रार्थना

प्रातःकालीन प्रणाम.
प्रार्थना है सर्वेश्वर से
| जब तक जिऊँ,
तब तक चलता फिरता रहूँ.
तन, मन, धन की 
रहें पर्याप्त शक्ति
बुढापे में भी सेवा करने ,
सब के चाहक बनने,
सर्वस्व सुख ही सुख देखने,
संतोष मिलें, शांति मिलें,
सहर्ष कहूँ,
दैनिक निवृत्ति में
दिन दिन रहें तेरा अनुग्रह.
हेईश्वर! जब तक जिऊँ,
तब तक तन, मन, धन की शक्ति देना.

भिखारी

जब तक दयालु है 
तब तक ऐसे भिखारी, 
पियक्कड, ठग, छद्मवेशी 
फुटपाथ पर सोते रहेंगे. 
तीन पत्नियो वाली, 
लखपति भी
भिखपति पर
भीख लेता है,
मंदिरों के आसपास
हृष्ट पृष्ट संन्यासी
अंधविश्वासियों की दयालुता पर
भीख माँगते फिरते हैं,
क्या करेंगे हम?

भारत आजादी के बाद

भारत देश के युवक
और जन -संपर्क साधन
आजादी  के  बाद
इतने गिर गए ---

शहीद भगत सिंह की याद नहीं ,
सुखदेव की याद नहीं ,
राज-गुरु की याद नहीं,
संयम नहीं ,प्रेम दिन के नाम से 
सार्वजनिक स्थानों पर चुम्बन , आलिंगन ,
अश्लील लीलाएं,
पशु से गए गुजरे हैं .
पाश्चात्य शिक्षा का असर .

सपना

सपने होते हैं अनेक .
नींद में स्वप्न ,
निष्क्रिय बैठकर स्वप्न ,
कोई देवता या साधू
या
सिद्ध पुरुष की आशीषें मिलें,
कोई मन्त्र की छडी मिलें,
ईश्वर का वरदान मिलें.
ऐसे सपना साकार होना
भाग्य की बात हैं.
किसी किसी को जन्म से ही
कुछ बनने ,
समाज की भलाई करने का
ज्ञान मिलता रहता है;
आदि शंकराचार्य ,रमण महर्षी दोनों
बचपन से ही जगत कल्याण ,मुक्ति ,
ईश्वर की महिमा में
लग गए ,न उनको धन कमाने की चिंता ,
न कार ,बंगला की चिंता ;
केवल लोक कल्याण ,
जन कल्याण.