Monday, May 7, 2018

भद्रगिरियार प्रलाप --३.


 १ . उलियिट्ट  कल्लुम  उरुप्पिडित्त  सेंचान्तुम
पुलियिट्ट सेम्बुम  पोरुलावतु  येक्कालम ?

   छेनी  से बने ईश्वर की मूर्ति,   मांस -मज्जा से  बनी मूर्तियाँ ,

   मुलम्मा  की  हुयी  पंच-लोह   की   मूर्तियाँ , आदि   में

 ब्रह्म-सत्य-ज्ञान के दर्शन  का   अनुग्रह   कब  प्राप्त होगा ।
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  २.   वेडिक्कैयुम    सोकुसू मेय्प्प कट्टुम पोय्प्प कट  टुम
          वाडिक्कई   एल्लाम   मरंतिरुप्पतु   एककालं ?


        तमाश -ऐश-आराम    मिथ्या   भूषण   पहनकर
         शरीर से  और मिथ्या बोली  से    दूसरों को  ठगकर
        जीने के  मिथ्याचरण छोड़कर  तेरे  अनुग्रह प्राप्त कर
      जीने का समय  कब    प्राप्त  होगा ?

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३.  पट्टू  उडै  पोरपनियुम  भावनैयुम     तीविनैयुम 
     विट् टु     विटटु    पातं  विरुम्बुवतु  एककालं .?

     रेशम के  कपडे  और    स्वर्णाभूषण  पहनकर
      सज्जन -सा अभिनय और बुराई छोड़कर
   तेरे  ही चरण वन्दना में   जीवन  बिताने  का  अनुग्रह कब  प्राप्त  होगा ?
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4. आमै   वरुम  आळ  कंडू      अयन्तु   अडक्कम  सेयतार पोल

   ऊमै  उरुक्कोंडु   ओदुन्गुवतुम  एककालं ?

  जैसे  कछुआ    मनुष्य   के  आते   ही पन्द्रियों को  अपने अन्दर छिपाकर
  रखता  है , वैसे   ही दुखों को या दुःख पहुँचाने के  माया  मोह को
 नियंत्रण करके   गूंगे के  समान  रहने  का   अनुग्रह कब  प्राप्त होगा ?
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५.  तंडिकैयुम    चावाडियुम   सालिकैयुम  मालिकैयुम
 
     कंडू कलिक्कुम करुत्तोलिवतु  यक्कालम ?

शिविका, आवास,खजाना ,महल    आदि  की  सुविधाओं  और ऐश -आराम  का  जीवन छोड़कर  जीने का अनुग्रह  कब  प्राप्त होगा?
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Sunday, May 6, 2018

समाज की दशा.. गलत दिशा.

 गुजरात कोर्ट  का फैसले के बाद
  अनुशासन  ,संयम तोड़े  कोरट.
मेरे विचार

वेश्यागमन  सही हैं ,
विनोद की रिहाई ,
मन मानकर गलती करना ,
माननीय है . यह तो सोचनीय हैं .
वैवाहिक व्यक्ति पत्नी के रहते ,
रखैल रखना  या दूसरी शादी करना
यह तो गैर -कानूनी.
पर  पैसे देकर वेश्या से संपर्क  रखना
न अपराध .
आहा! न्यायाधीश .
वह वेश्या मानकर लेती  या  किसी के डराने -धमकाने से
या गरीबी की विवशता  में
या बदमाशों के चंगुल से
जो भले ही पेशेवर हो
वैवाहिक पुरुष से संपर्क ,
उस शादी शुदा  स्त्री के प्रति का द्रोह .
परिवार का नाश.
पुत्र-पुत्री का धर्म संकट
किसी की परवाह नहीं ,
पुरुष को अपने शारीरिक सुख प्रधान.
वह मनुष्य नहीं , मनुष्य के रूप का
ज्ञान चक्षु  विहीन  पशु ही है.
इसकी रिहाई का न्यायाधीश की पत्नी अपनी इच्छा से
पर-पुरुष गमन  सहेंगे क्या ?
यह ऐसी नीति  को अपनाने
दशरथ  , द्रौपती, भीष्म के पिता ,
शाहजहान   ऐसे पौराणिक उदाहरण
वाली का शुग्रीव पत्नी का  अपहरण
ऐसी गलत दृष्टांत
गुजरात के न्यायाधीश ने लिया होगा.
उनकी पुतुत्रियों  को यों ही  छोड़ेंगे क्या ?
विनोद की रिहाई , विनोद फैसला.
रंडी को दंड ,
रंडे  को रिहाई
डंडे को काटे बिना
यही जबर्दश्ती का मूल .
क़ानून भी साथ.
नारियों की सुरक्षा दल चुप.
इच्छित नारी सी वैवाहिक पुरुषों के गमन की छूट
पारिवारिक जीवन को शोकमय बनाना.
हे न्याधीश! आप  अपनी इच्छा से वेश्यागमन करते तो
अपनी पत्नी के प्रति द्रोह या नाहीं.
सोचकर न्याय सुनाना.

Friday, May 4, 2018

मनुष्य जीवन की यथार्थता



   मनुष्य  पाषाण  काल  में असभ्य रहा|   सभ्य बना तो पशु  तुल्य  जीवन छोड़कर   सभ्य  बना.  आखेटक  संघर्ष  मय  जीवन  छोड़कर  कृषी करने  लगा. शान्ति चाही ;अहिंसा  चाहा. अहिंसा ,शान्ति , आत्मसंतोष ,परोपकार ,दान ,धर्म , पाप-पुण्य,स्वर्ग -नरक ,
सादा जीवन ,उच्च विचार ,त्याग, देशभक्ति, मातृभाषा पर  प्रेम     आदि सद्गुणों  के  प्रचार के लिए बड़े-बड़े साधू-संत, महान ,पैगम्बर,देव-दूत ,युग पुरुष  पैदा   हुए.

  विश्व   शान्ति ,विश्व प्रेम    के  कारण    बुद्ध धर्म  भारतीय धर्म  चीन ,जापान ,श्री लंका, तिब्बत    आदि देशों एन भी फैला. जैन धर्म  के दिगंबर तो   वस्त्र तक त्यागा.
 मुहम्मद नबी ,ईसा मसीह  आदि का   जन्म न होतो  उनके समय के  मारकाट,निर्दयता
मानव -मानव  में घृणित भावना कभी  नहीं छूटती.
 इतने  होने पर  भी  भक्ति और अन्य  क्षेत्रों  के  बाह्याडम्बर  गरीबी मिटाने  साथ नहीं  देते.

   हर  साल गणेश  उत्सव और अन्य   उत्सवों  के बेकार होनेवाले    कई करोड़ रूपये, मंदिरों के हुंडी में डाले जाने वाले सोना-चांदी, रूपये  तहखाने  न गाढ़कर रखते  तो
देश की गरीबी कैसे दूर  होती. बड़े -बड़े शहरों  में आवास  हीन ,घर   हीन  पुत्पाथ  पर जीनेवालों की गरीबी   कैसे  दूर  होगी;  सबको सुशिक्षित कैसे  कर सकते  हैं ?
 राजनीतिज्ञ  करोड़पति बनते जाते  हैं ,संपत्ति  पर  संपत्ति जोड़ते हैं।
देश हित   की योजनायें  शिक्षा     आ  सेतु   हिमाचल  तक   एक समान  नहीं  है|

आजादी  के  बाद राष्ट्रीयता  बदनी चाहिए. कांग्रस  सरकार  की बड़ी भूल यही थी कि
प्रांतीय मोह बढाने वाली राजनीती और प्रान्तीय  दलों को बढ़ने देना, स्वार्थमय कांग्रस दल ने  राष्ट्रीय    शिक्षा, नदियों का  राष्ट्रीय करण  आदि पर अत्यधिक ध्यान दिया; धार्मिक एकता   समानता पर ऐसा जोर देता कि  धार्मिक कट्टरता,द्वेष भाव   बढ़ता रहा.
 वोवसी   जैसे  मुसलमान  खुल्लमखुल्ला हिन्दुओं को समूल नष्ट करने का  भाषण दे रहे  हैं.  धर्म- और आस्था के  नाम मानव हत्या भाई चारे भाव को नष्ट   कर देती.

राष्ट्रीय झंडे को जलाना,   राष्ट्र गीत का अपमान ,राष्ट्रीयता   भंग करने -कराने-करवाने के भाषण ,नाबालिग बलात्कार  आदि का कठोर दंड नहीं।  ऐसी स्थिति बढ़ते    जाना
 देश के   कल्याण  का  अनुकूल नहीं  है.

Thursday, May 3, 2018

भद्रगिरियार -प्रलाप --२.

भद्रगिरियार


 ८.पेय्पोल तिरिन्तु पिनाम्पोल किडन्तु   पे णनै
     ताय पोल निनैत्तुत    तव मुदिप्पतु एककालं .

भाव :
भूत -सा  भटककर ,(भूत के  लिए निश्चित  समय नहीं  है )

शव - सा  लेटकर ,,(  किसी प्र कार  के चिंता  स्मरण  रहित }
 तेरी     याद  कर ,
तपस्या  अंत करने का   समय
 कब  प्राप्त  होगा?
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९.   काल   काट्टी,कै  काट्टी, कणकल    मुकम  काट्टी
     
      माल काट्टू  मंगैयरै    मरंतिरुप्पतु  एककालं ?

    अपने  पैर,हाथ ,आँखें ,चेहरा  आदि के  अंग चेष्टाओं  के  द्वारा ,
      नशा उत्पन्न करनेवाली महिलाओं को  भूल,
      तेरी ही याद में जीने  का समय
     कब  प्राप्त  होगा ?

१०.   पेन्निन   नल्लार   आसैप पिरमैयिने  वित्टोलित्तु
       कन्निरेंडू  मूडिक   कलंतिरुप्पतु  एककालं ?

   नारियों  पर होने वाली इच्छाओं को तजकर ,
   आँखें बंदकर    तेरे  ब्रह्मानंद में डुबकी  लगाने  का समय कब  प्राप्त   होगा ?

११.  वेट्टुंड    पुण पोल    विरिन्त  अल्कुल पैतनिले 
     
       तट्टूण्डु    निर्कई  तविर्वतुवुम   एककालं.?

  नारी  योनी   काटे हुए घाव के   सामान  घृणित ,
  उसका मोह तज  जीने का   वक्त कब  प्राप्त होगा ?

१२.  आरात  पुण निल   अलिन्तिक किडवामल
       तेरात   सिन्तई तनैत  तेट्रूवतु   एककालं ?

  कभी न भरनेवाले  घाव-सा जो योनी है ,
 उसकी हीनता    जान  ज्ञान पाकर मन को
तेरे ही स्मरण में रखने  का समय    कब  प्राप्त होगा ?

१३.  तंतै-ताय   मक्कळ सकोतररुम  पॉय एनवे कंडु तिरुक्करुप्पतु एककालं.?

     माता-पिता   ,संतान आदि  न  स्थायी सहायक  यों अनुभव ज्ञान पाकर
 उनके प्रेम-माया मोह छोड़ ,तेरी ही याद  में जीने का  समय कब प्राप्त होगा.




Wednesday, May 2, 2018

नाम जपो

भगवान के नाम की महिमा , अति प्रशंसनीय . विक्सित होता है आत्म संतोष . विक्सित होता है , आत्मानन्द. विक्सित होताहै
आत्मविशवास विक्सित होताहै ब्रह्म ज्ञान. प्राप्तहोता हैं ब्रह्मज्ञान प्रगति के पथ पर  आगे बढ़ता है मानव समाज . सर्वत्र मिलता है शान्ति. अहिंसा की भावना बढ़कर अगजग के वातावरण अमन चैन से बढ़ जाता है.

Tuesday, May 1, 2018

भद्र गिरियार सिद्ध पुरुष



भद्र गिरियार    सिद्ध पुरुष


   उज्जैन  के राजा  भद्र गिरी.   तमिल भाषा के प्रसिद्ध   अठारह सिद्ध पुरुषों में एक  हैं.


तमिल के  सिद्ध पट्टिनत्तार  एक बार उज्जैन के काली के  मंदिर के दर्शन के बाद एक गणेश  मंदिर में ध्यान मग्न बैठे हुए थे. तब कुछ   चोर राजमहल में चोरी करके आये थे. उन चोरों ने एक मोती  की माला फेंकी तो वह पट्टिनत्तार  के गले में पडी.   राजा के सिपाही चोर की  तलाश में आये. उन्होंने  पट्टिनत्तार के गले में मोती की माला  देखी. सिपाही उनको चोर समझकर राजा   भद्र गिरि के सामने ले गए.  राजा बिना सोचे विचारे उनको शूल में  लटकाने की सजा सुनायी. पर  वह शूल   पेड़ जल गया.  राजा को अपनी गलती मालूम  हुई. वे अपने राजा पद त्यागकर पट्टिनत्तार  के साथ साधू बनकर  निकले.

 पट्टिनत्तार   को उन्होंने अपने गुरु मान लिया .

दोनों  तिरूविडै मरुदूर के  मंदिर में साधू बनकर ठहरे.
शिष्य  रोज़ भिक्षा  माँगकर गुरु को  खिलाता . एक दिन उन्होंने  एक कुतिया को खिलाया तो वह  उनके साथ रह गई. एक दिन एक भिखारी ने पट्टिनत्तार से भीख  माँगी तो उन्होंने कहा-- दूसरे गोपुर के द्वार पर एक कुटुम्बी रहता है , उससे   माँगो. भद्रगिरियार समझ गए और उस कुतिया पर अपने भिक्षा पात्र फेंका ,कुत्ता मर गया.
वे बिलकुल साधू और  सिद्ध पुरुष बन गए.

फिर सिद्ध पुरुष  बनकर सिद्ध गीत गाने में लग   गए.

उनके ग्रंथों में  एक है == भद्र गिरियार के   सत्य ज्ञान  प्रलाप.

 गणेश वन्दना :--

मुक्ति प्रद ज्ञान देने  के प्रलाप गाने
श्री गणेश  की कृपा कब पाऊंगा ?
मूल : तमिल :- मुक्ति तरुम ज्ञान  मोलियाम पुलाम्बल सोल्ल
                    अत्ति मुकवन अरुल पेरुवतु एककालम.
ग्रन्थ :--
१. आन्गारम उल्लडक्की   ऐम्पुलनैच चुट्टरुत्तुत
तून्गामल  तूंगिच सुकम पेरुतल एककालं.?

अहंकार  तजकर ,पंचेद्रियों  को नियंत्रण में रखकर
ईश्वरीय ध्यान में  सुख कब प्राप्त करूँगा?

२. नींगाच शिवयोग  नित्तिरै कोंडेयिरुन्तु
   तेंगाक  करुण तेक्कुवतु  एककालं .

शिव से मिलकर  सदा शिव की याद में  मेरा मन
लगने का अनुग्रह कब प्राप्त होगा?

३.    मेरा मन  ईश्वर की करुणा  से खाली है,
     सत्यज्ञान (ब्रह्मज्ञान )की वह  कमी ,
     पूरी होने का अनुग्रह कब प्राप्त  होगा ?
मूल :-तेंगाक     करुनै वेल्लम तेककियिरून्तुणपतर्कू
                  वांगामल विट्टकुरै  वन्त्तडुप्प्तु येक्कालं।
४.  निरंतर दुखी होकर जीने  के कारण की
     माया से बचने का अनुग्रह कब प्राप्त होगा ?

५  जन्म के कारण की माया रुपी अज्ञान की सेना      जीतकर  मन के किले को काबू रखने का अनुग्रह कब प्राप्त होगा?

      मायाप्पिरवी  मयक्कत्तै ऊडरुत्तुक
       काया पुरिक्कोटटैक्  कैक्कोल्वतु एक्कालं।

६. मन रुपी किले को वश में  करने शिवानुभूति की
    शक्ति कब   प्राप्त होगी ?
 
मूल ;-

७. बच्चों- सा   मन , बहरे- गूंगे के समान,भूत -समान
    तेरी कृपा के बंधन में फंसकर रहने का अवसर कब प्राप्त होगा ?

आज के भक्ति चिंतन.


  आज भगवान के सामने
चुप बैठने के विचार  में  बैठा.
 चंचल  मन  में कई प्रकार   के विचारों का ज्वार भाटा  ,

  रोकना कितना मुश्किल.
इतने में गोद संगणक  की   माया ,
मुझे  न छोडी.

  भक्ति आजकल  दिन ब दिन 

  बढ़ती जा रही  है.

मंदिरों की संख्या बढ़ रही  हैं.

हर  एक  मंदिर की मूर्तियाँ  कितना सुन्दर ,

ऐसा अलंकार , देखने  में ऐसा  लगती हैं

 सद्यः फल दे देंगी.

 मंदिर के देव -देवी दर्शन  से कितना  आत्म संतोष.

मंदिर  जाने  के पहले , दर्शन  के    बाद ,

मन में कितना  परिवर्तन.
हमारे  दुखों  को  भगवान   मान  लिया.
   आगे  हम निश्चिन्त जीवन में आगे   बढ़ेंगे.
एक प्रकार  का धैर्य ,साहस , पौरुष , दृढ़ता  ,
  हमारे पूर्वज  कितने भविष्य दर्शी   होते  हैं.
सुख ही सुख मिल  जाता  है.