Saturday, May 12, 2018

जीने की कला

मनुष्य  के जीवन में
कई बातें समझ में न आती.
छद्मवेश  में ठगने की कला.
चिकनी चुपड़ी बातों में
ठगने की कला.
डरा धमकाकर ठगने की कला.
ईश्वरीय   शक्ति  का भय दिखाकर
लूटने की कला.
जादू टोने के नाम से
ठगने की कला.
मृत्यु का भय
रोग का भय
भय भीत संसार.
समझ  में नहीं आता
संसार में जीने की कला.

Friday, May 11, 2018

तरंगें

तरंगें
विचारों की तरंगें,
समुद्र की तरंगों से बडी.
बीच समुद्र तो शांत है,
पर मन तो कभी शांत नहीं.
मन शांत का मतलब है,
ब्रह्मतेज, ब्रह्मतेज पाना.
ब्रह्मतेज पाना है तो
ध्यान मग्न होना.
ब्रह्मत्व पाना है तो
शरीर से प्राण तजकर जाना.
निश्चल मन योग साधना की,
सर्वोच्च  शिखर.
निश्चल मन में
न मोह, न बंधन.
तरंगों का रुकना
हवा रहित स्थिति.
विचार तरंगों ते बिना
न वेद, न कुरान,  न बाइबिल
तब मन की तरंगों   को रोकना कैसा?
न रामायण, न महाभारत, न शेक्सपियर के नाटक.

मनुष्य

प्रातःकालीन प्रणाम.
கா லை வணக்கம்.
प्रेम भरी दुनिया में,
खुशामदयों  और  चम्मचों को
जितना सम्मान
उतना कटु सत्य बोेलनेेवालों  को नहीं.
 शासक, अधिकारी तटस्थ  नहीं,
 केवल चाहते अपनी अमीरी.
अपने ही आमदनी.
शाश्वत सत्य भूल जाता,
अमीरी गरीबी  का दहन या गाढन
एक ही श्मशान में या एक ही कब्र में ही.

लव फेइलियर

आज मैं चेन्नै  से पुदुच्चेरी जा रहा था.
मेरे पास बीस वर्ष का जवान बेटा
उदासी  बैठा था.
उससे पूछा तो कहा..
लव फेइलियर.
मेंने उस से  पूछा-.
असफलता तेरी भाषा पर है.
मातृ भाषा में बोलते तो प्रेम में कामयाबी  होगी.
वह अंग्रेजी तो तलाक की भाषा है.
कछुआ जैसे पंचेंद्रियों  को काबू  में रखना है.
वल्लुवर कोे पढना है,
यू टू ब्रूटस को नहीं.
जितेंद्र बनना है.
कुत्ते ही कुतिये के पीछे जाएँगे.
लडकी के पीछे जाने वाला नायक नहीं बनता.

खलनायक भी.  वह तो जोकर भी न बन सकता.
वह पशु है, मनुष्य नहीं.
जवानी में एक लडकी  केलिए मरना,
आत्म हत्या की बात सोचना  पौरुष  की बात  नहीं  है.
कायरता की चरम सीमा  है.
  क्या मेरी बात मानोगे?
उसने कहा. मानूँगा.  मैं मनुष्य हूँ.
हीरो बनने लडकी के लिए आत्म हत्या नहीं करूँगा.
मैं कुत्ता नहीं, मनुष्य हूँ.
 यह सुना तो बहुत खुश हुआ.
 आमै पोल ऐंदटक्कल आट्र्स एळुमैयुम एमाप्पुडैत्तु.
कछुए के समान पंचेंद्रियों को काबू में रखें तो
 सातों जन्मों में श्रेष्ठ पुरुषों सा रहोगे.

न जाने वह जिन्दा है  या   नहीं . उसका स्मरण  तो मुझे हैं .

Tuesday, May 8, 2018

சமுதாய சிந்தனை --सामाजिक चिंतन

कालैवणक्कम नन्बर्कले . காலை வணக்கம் நண்பர்களே !
सुप्रभात दोस्तों !

हर कोई बड़ा पद , ஒவ்வொருவரும் ஏதாவது பெரிய பதவி
अधिकार = அதிகாரம்

धन दौलत --செல்வம்

सुन्दर पत्नी =அழகான மனைவி

रईश पति --பணக்கார கணவன்

पाना चाहता है .= பெற விரும்புகிறான் .

पर दिमाग से कमजोर , ஆனால் மூளை பலகீனமாக,

भद्दे चेहरे ,= அசிங்கமான முகம்
दुर्बल शरीर ,--பலமற்ற தேகம் ,

रजो गुण ,-ரஜோ குணம்
तमो गुण தமோ குணம்

तेज गुण -தேஜோ குணம்

प्रतिभा सम्पन्न आदमी -- மதிப்புள்ள அருள் பெற்றவன்

औसत बुद्धि ,= சராசரி அறிவு

जन्म से पागल =பிறவிப் பைத்தியம்

ये हमें पाप से बचने का , இவைகள் நம்மை

भ्रष्टाचार से बचने का , ஊழலில் இருந்து தப்பிக்க ,

अधर्म कर्म करने भय =அதர்மமான செயல் செய்ய அச்சம்

आदि का सन्देश है, முதலியவைகளின் செய்திகள்.

धनी संतान हीन ,--பணக்காரன் குழந்தை இல்லை

पिता से बढ़कर बेटा चतुर, தந்தையை விட கெட்டிக்கார தனயன்
पिता तो निरक्षर पुत्र अति मेधावी,அப்பா படிக்காதவர் ,பிள்ளை மேதாவி

शिव को उपदेश कार्तिकेय देता
சிவனுக்கு கார்த்திகேயன் உபதேசம் .

कितने भेद भाव सृष्टियों में . படைப்புகளில் எத்தனை வேறுபாடுகள்.

खरा नीर ,मीठा नीर ,--உப்புத்தண்ணீர் ,இனிப்பான நீர்

खट्टे,मिट्ठे ,कडूए फल புளிப்பு ,இனிப்பு ,கசப்பு பழங்கள்

मधुर्वचन ,कठोर वचन , இனிய, கடுமையான சொற்கள்,

मधुर स्वर ,कर्ण कठोर स्वर. இனிய, கடுமையான குரல்

ईश्वर की लीला अपरम्बार. கடவுளின் லீலை எல்லையற்றது .

सामाजिक अध्ययन सब कुछ सिखाता . சமுதாயக் கல்வி அனைத்தையும் கற்றுக்கொடுக்கிறது.

पाप कर्म से दूर -பாவச் செயலில் இருந்து விலகினால்
,वही आत्मसंतोषी जान. அவன்தான் ஆத்ம திருப்தி உள்ளவன்.
ब्रह्मानंद उसीको प्राप्त जो பிரம்மானந்தம் அவனுக்கே ,

निष्काम कर्तव्य निभाते . பலன் எதிர்பாரா கடமை செய்வோருக்கு.
सद्यः आर्थिक लाभ , உடனடி பணப் பயன் ,

करते जो अन्याय , அநியாயம் செய்பவர்கள்

उनके व्यक्तिगत जीवन -அவர்களின் தனிப்பட்ட வாழ்க்கை
चाहे महाराज दशरत हो या करुणा
जेया,ममता माया, शशि ,लाल ,सोनिया அவர்மகாராஜாதசரதராகஇருந்தாலும்
ஜெயா ,மம்தா, மாயா,ஷஷி ,லால் ,சோனியா

पीड़ा से ही भरा है जान. மனத்துன்பன்களால் நிரம்பியிருப்பதை அறிந்துகொள்.

Monday, May 7, 2018

भद्रगिरियार प्रलाप --३.


 १ . उलियिट्ट  कल्लुम  उरुप्पिडित्त  सेंचान्तुम
पुलियिट्ट सेम्बुम  पोरुलावतु  येक्कालम ?

   छेनी  से बने ईश्वर की मूर्ति,   मांस -मज्जा से  बनी मूर्तियाँ ,

   मुलम्मा  की  हुयी  पंच-लोह   की   मूर्तियाँ , आदि   में

 ब्रह्म-सत्य-ज्ञान के दर्शन  का   अनुग्रह   कब  प्राप्त होगा ।
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  २.   वेडिक्कैयुम    सोकुसू मेय्प्प कट्टुम पोय्प्प कट  टुम
          वाडिक्कई   एल्लाम   मरंतिरुप्पतु   एककालं ?


        तमाश -ऐश-आराम    मिथ्या   भूषण   पहनकर
         शरीर से  और मिथ्या बोली  से    दूसरों को  ठगकर
        जीने के  मिथ्याचरण छोड़कर  तेरे  अनुग्रह प्राप्त कर
      जीने का समय  कब    प्राप्त  होगा ?

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३.  पट्टू  उडै  पोरपनियुम  भावनैयुम     तीविनैयुम 
     विट् टु     विटटु    पातं  विरुम्बुवतु  एककालं .?

     रेशम के  कपडे  और    स्वर्णाभूषण  पहनकर
      सज्जन -सा अभिनय और बुराई छोड़कर
   तेरे  ही चरण वन्दना में   जीवन  बिताने  का  अनुग्रह कब  प्राप्त  होगा ?
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4. आमै   वरुम  आळ  कंडू      अयन्तु   अडक्कम  सेयतार पोल

   ऊमै  उरुक्कोंडु   ओदुन्गुवतुम  एककालं ?

  जैसे  कछुआ    मनुष्य   के  आते   ही पन्द्रियों को  अपने अन्दर छिपाकर
  रखता  है , वैसे   ही दुखों को या दुःख पहुँचाने के  माया  मोह को
 नियंत्रण करके   गूंगे के  समान  रहने  का   अनुग्रह कब  प्राप्त होगा ?
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५.  तंडिकैयुम    चावाडियुम   सालिकैयुम  मालिकैयुम
 
     कंडू कलिक्कुम करुत्तोलिवतु  यक्कालम ?

शिविका, आवास,खजाना ,महल    आदि  की  सुविधाओं  और ऐश -आराम  का  जीवन छोड़कर  जीने का अनुग्रह  कब  प्राप्त होगा?
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Sunday, May 6, 2018

समाज की दशा.. गलत दिशा.

 गुजरात कोर्ट  का फैसले के बाद
  अनुशासन  ,संयम तोड़े  कोरट.
मेरे विचार

वेश्यागमन  सही हैं ,
विनोद की रिहाई ,
मन मानकर गलती करना ,
माननीय है . यह तो सोचनीय हैं .
वैवाहिक व्यक्ति पत्नी के रहते ,
रखैल रखना  या दूसरी शादी करना
यह तो गैर -कानूनी.
पर  पैसे देकर वेश्या से संपर्क  रखना
न अपराध .
आहा! न्यायाधीश .
वह वेश्या मानकर लेती  या  किसी के डराने -धमकाने से
या गरीबी की विवशता  में
या बदमाशों के चंगुल से
जो भले ही पेशेवर हो
वैवाहिक पुरुष से संपर्क ,
उस शादी शुदा  स्त्री के प्रति का द्रोह .
परिवार का नाश.
पुत्र-पुत्री का धर्म संकट
किसी की परवाह नहीं ,
पुरुष को अपने शारीरिक सुख प्रधान.
वह मनुष्य नहीं , मनुष्य के रूप का
ज्ञान चक्षु  विहीन  पशु ही है.
इसकी रिहाई का न्यायाधीश की पत्नी अपनी इच्छा से
पर-पुरुष गमन  सहेंगे क्या ?
यह ऐसी नीति  को अपनाने
दशरथ  , द्रौपती, भीष्म के पिता ,
शाहजहान   ऐसे पौराणिक उदाहरण
वाली का शुग्रीव पत्नी का  अपहरण
ऐसी गलत दृष्टांत
गुजरात के न्यायाधीश ने लिया होगा.
उनकी पुतुत्रियों  को यों ही  छोड़ेंगे क्या ?
विनोद की रिहाई , विनोद फैसला.
रंडी को दंड ,
रंडे  को रिहाई
डंडे को काटे बिना
यही जबर्दश्ती का मूल .
क़ानून भी साथ.
नारियों की सुरक्षा दल चुप.
इच्छित नारी सी वैवाहिक पुरुषों के गमन की छूट
पारिवारिक जीवन को शोकमय बनाना.
हे न्याधीश! आप  अपनी इच्छा से वेश्यागमन करते तो
अपनी पत्नी के प्रति द्रोह या नाहीं.
सोचकर न्याय सुनाना.